-समग्र शिक्षा में उत्तर प्रदेश के बाद सर्वाधिक राशि बिहार को
-केंद्र द्वारा राशि निर्गत के पूर्व राज्यों को कुछ शर्ते पूरी करनी है जिसमें बिहार फिसड्डी साबित हो रहा है
-शिक्षकों के वेतन भुगतान की पूरी जिम्मेवारी राज्य सरकार की, केंद्र राज्यों को सहयोग करता है
Patna : राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री सम्प्रति राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने बिहार के वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी के बयान पर पलटवार करते हुए कहा है कि केंद्र भेदभाव कर रहा है, का घिसा-पिटा रिकॉर्ड चालू हो गया। एक माह पहले तक तो एनडीए की सरकार थी तो क्या उस समय भी अपनी ही सरकार के साथ केंद्र भेदभाव कर रहा था?
श्री मोदी ने कहा कि समग्र शिक्षा के अंतर्गत उत्तर प्रदेश के बाद सर्वाधिक राशि बिहार को प्राप्त हो रही है। परंतु पीएफएमएस की नई व्यवस्था में शर्तों को पूरा करने में बिहार फिसड्डी साबित हो रहा है इस कारण राशि प्राप्त होने में विलंब हो रहा है।
श्री मोदी ने कहा कि समग्र शिक्षा अंतर्गत 2022-23 में 4659.37 करोड़ बिहार को प्राप्त होना है परंतु बिहार ने ब्याज में प्राप्त राशि का केंद्रीय हिस्सा भारत सरकार की संचित निधि में जमा करने के बजाय गलत शीर्ष में जमा कर दिया जिसे खुद बिहार सरकार ने स्वीकार किया है। साथ ही 7500 से ज्यादा क्रियान्वित एजेंसियों का अभी तक पीएफएमएस पोर्टल पर बिहार मैपिंग नहीं कर पाया है जो केंद्र से राशि निर्गत करने की अनिवार्य शर्त है।
विधवा, दिव्यांग, वृद्धावस्था पेंशन के बारे में भी श्री मोदी ने कहा कि पीएफएमएस की नई व्यवस्था में बिहार द्वारा कुछ शर्तों को पूरा नहीं करने के कारण पेंशन की राशि नहीं मिल पाई है। शर्तों को बिहार अविलंब पूरा करें ताकि राशि मिल सके।
उपरोक्त अनेक शर्तों को पूरा करने हेतु अनेक पत्र, ईमेल एवं प्रत्यक्ष बैठकें बिहार के साथ हो चुकी है परंतु अभी तक बिहार सहित अनेक भाजपा शासित राज्य भी शर्तों को पूरा नहीं कर पाए हैं। इस कारण राशि निर्गत करने में विलंब हो रहा है।
शिक्षकों के वेतन भुगतान की पूरी जिम्मेवारी राज्य सरकार की है। शिक्षकों की नियुक्ति, सेवा शर्त, वेतनमान आदि का निर्धारण राज्य सरकार अपने स्तर से करती है। केंद्र केवल वेतन मद में समग्र शिक्षा के तहत राज्यों को सहयोग करती है।
श्री मोदी ने श्री चौधरी को नसीहत दी है कि पहले विभाग की गहन समीक्षा करें। केवल अधिकारियों के बहकावे में आकर स्तरहीन बयानबाजी ना करें।