बिहारःनीलगाय शोध केन्द्र डुमरांव में खोलने को निर्माण कार्य अतिंम मुकाम पर पहुंचा

पटना

पालतू बनाए जाने की दिशा में नीलगायों की आदतों का होगा सूक्ष्म पर्यवेक्षण

डेस्क : सूबे के डुमरांव स्थित हरियाणा कृषि फार्म की जमीन पर देश का पहला नीलगाय को पालतू जानवर बनाए जाने की दिशा में शोध केन्द्र खोले जाने को लेकर निर्माण कार्य अतिंम मुकाम पर पहुंच चुका है।शोध केन्द्र में नीलगाय को रखने के लिए करीब 140 मीटर लंबा व चैड़ा बाड़ा का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। फैंसी(बाड़ा) के अंदर नीलगाय को रखने के बाद उनका सूक्ष्म पर्यवेक्षण करने के लिए पर्याप्त रौशनी प्रबंध के साथ सीसीटीवी कैमरा लगाए जाने की प्रक्रिया जारी है।

सीसीटीवी के माध्यम से विज्ञानियों द्वारा नीलगाय की गतिविधियों का बारीकी से अध्ययन किया जाएगा। बाड़ा अर्थात फैंसी में आरंभिक तौर पर विभिन्न किस्म के एक दर्जन नर व मादा नीलगायों को रखा जाएगा। विज्ञानियों की टीम ने ग्रामीणों की सहायता से नंदन व आस पास के इलाके से नीलगाय पकड़ने का कार्य शुरू कर दिया है। राज्य सरकार प्रस्तावित इस शोध केन्द्र को खोले जाने को लेकर वित्त विभाग ने करीब 50 लाख की राशि विश्वविद्यालय को आंवटित कर रखा है।

बिहार कृषि विश्वविद्यालय द्वारा इस शोध केन्द्र कार्य के लिए जीव जंतु विज्ञानी डा.सुदय प्रसाद के नेतृत्व में अन्य तीन विज्ञानियों में प्रधान विज्ञानी डा.रियाज अहमद,डा.सी.के.प्रभाकर एवं डा.आर.के.साह को जिम्मेवारी सौंपी गई है। आरंभिक तौर पर विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा अपडेट करते हुए तीन साल की अवधि विज्ञानियों को प्रदान की गई है।

विज्ञानियों का कहना है कि नीलगाय के नाम के साथ गाय शब्द जरूर लगा है। पर यह पशु गाय प्रजाति का नही है। नीलगाय के सारे लक्ष्ण बकरी एवं हिरण प्रजाति से मिलते जुलते है। हिरण व बकरी दो से तीन बच्चें को जन्म देती है। नीलगाय मादा भी सामान्य तौर पर दो से तीन बच्चे को जन्म देती है।

‘हरियाणा फार्म की जमीन पर हरित क्रांति का जल्द होगा अहसास’
कृषि कालेज के प्राचार्य सह अधिष्ठाता प्रो.मुकेश कुमार सिन्हा ने बताया कि हरियाणा कृषि फार्म के एक भू-भाग में राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित नीलगाय शोध केन्द्र जल्द शुरू हो जाएगा। नीलगाय को पालतू बनाए जाने की कड़ी में आरंभिक तौर पर उनकी गतिविधियों का विज्ञानियों द्वारा बारीकी से अध्ययन किया जाएगा।

विज्ञानियों द्वारा कुलपति डा.डी.आर.सिंह के समक्ष प्रस्तुत प्रोजेक्ट प्रेजेंटेशन के बाद शोध कार्य को अपडेट किया गया है। आगे, प्राचार्य सह अधिष्ठाता प्रो.सिन्हा ने बताया कि हरियाणा फार्म की शेष जमीन पर हरित का्रंति लाने को तैयारियां चल रही है। पशुपालन विभाग द्वारा प्रदत हरियाणा फार्म की एक सौ एकड़ जमीन पर विभिन्न किस्म के फलदार वृक्ष के पौधारोपण, सब्जी की खेती से लेकर श्री अन्न के खेती की शुरूआत हो चुकी है।

इस कार्य को अंजाम देने के प्रति कालेज प्रबंधन गंभीर हैै। कालेज के संबधित विज्ञानियों को टास्क दिया जा चुका है।महज चंद दिनों के अंदर हरियाणा फार्म के हरित क्रांति की गूंज सुनाई पड़ने लगेगी।कृषि कालेज के विज्ञानियों के बूते लंबे अर्सो से मुर्झाए हरियाणा फार्म की जमीन पर हर तरफ हरियाली नजर आएगी। जल्द ही हरियाणा फार्म की मिटट्ी पर उगे श्री अन्न सहित विभिन्न किस्म के फलदार वृक्ष व सुगंधित व रंग विरंगें फूल के खेती की खुश्बू का अहसास सामान्य जन को होने लगेगा।