गांधी जी के शहादत दिवस पर माले का संविधान बचाओ- लोकतन्त्र बचाओ मार्च
स्टेट डेस्क/पटना : 24 जनवरी से चल रहे भाकपा- माले के जन अभियान के तहत आज पटना में गांधी जी के शहादत दिवस पर संविधान बचाओ लोकतंत्र बचाओ मार्च का आयोजन भाकपा- माले के बैनर तले किया गया. यह मार्च 12 बजे जीपीओ गोलंबर से शुरू हुआ और डाक बंगला चौराहा होते हुए गांधी मैदान स्थित गांधी मूर्ति के पास पहुंचा. सबसे पहले मार्च में शामिल नेताओं ने गांधी जी की प्रतिमा पर फूल चढ़ाए और उन्हें अपनी श्रद्धांजलि दी. मार्च में सैकड़ो की तादाद में माले के कार्यकर्ता व आम नागरिक शामिल थे.
आज के कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के बतौर भाकपा-माले के पोलित ब्यूरो सदस्य रामजी राय, शशि यादव और विधायक गोपाल रविदास ने संबोधित किया. मौके पर सरोज चौबे, अभ्युदय, प्रकाश कुमार, रणविजय कुमार, अनीता सिन्हा , जितेंद्र कुमार, कमलेश कुमार, सत्यनारायण प्रसाद, माधुरी गुप्ता, समता राय, अन्य मेहता, शंभूनाथ मेहता, पन्नालाल सिंह, संजय यादव, विनय कुमार, पुनीत पाठक, हेमंत आदि शामिल थे.
का. रामजी राय ने कहा कि बिहार में विगत दिनों जो कुछ हुआ, यह सामाजिक न्याय और लोकतंत्र के साथ भीषण विश्वासघात के रूप में याद किया जायेगा. धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र, सामाजिक व आर्थिक न्याय और जन अधिकार की पक्षधर ताकतों को इस फासीवादी षड्यंत्र को बेनकाब करते हुए गांधी जी और कर्पूरी ठाकुर की लोकतंत्रिक संघर्ष की विरासत को आगे बढ़ना होगा.
शशि यादव ने कहा कि भाजपा ने कभी भी कर्पूरी जी के विचारों का सम्मान नहीं किया. 1977 में जब बिहार में जनता पार्टी की सरकार आई और कर्पूरी जी मुख्यमंत्री बने तो मुंगेरी लाल कमीशन का आरक्षण फॉर्मूला लाग करने के बाद प्रदेश के कोने-कोने में उनका विरोध करने वाले और भद्दी-भद्दी गालियां देने वाले कौन लोग थे? उन्हें जनसंघ के ही लोग हवा दे रहे थे और अंततः उन्हीं के समर्थन वापसी के कारण कर्पूरी जी की सरकार गिर गई
विधायक गोपाल रविदास ने कहा कि 22 जनवरी को राम मंदिर उद्घाटन के नाम पर भारतीय जनता पार्टी ने गणतंत्र दिवस को कमजोर करने की कोशिश की. हमने 26 जनवरी को जहानाबाद सहित पूरे राज्य में ट्रैक्टर मार्च और पदयात्रा निकाली गई इसका जबरदस्त असर पड़ा है. उन्होंने कहा कि भाजपा ने एक बार फिर बिहार की सत्ता हड़प ली. जबकि 17 महीने की महागठबंधन सरकार ने जाति सर्वेक्षण कराया, 2 लाख से अधिक स्थायी शिक्षकों की बहाली करवाई, आशाकर्मियों को मानदेय मिला. यह काम भाजपा को पसंद नहीं आ रहा था और उसने सत्ता हड़प लिया.
जनता में ही परिवर्तन की ताकत है.आज संविधान को ही खत्म करने की कोशिश हो रही है. जब संविधान ही नहीं बचेगा तो हमारे अधिकार कैसे बचेंगे. इसलिए संविधान को बचाने की लड़ाई आज की सबसे बड़ी लड़ाई है