State Desk/Patna : बीपीएससी पेपरलीक मामले में आरोपित डीएसपी रंजीत कुमार रजक को जमानत मिल गयी है। रजक को 12 जुलाई 22 को न्यायिक हिरासत में भेजा गया था। आर्थिक अपराध ईकाई (EOU) ने रजक को मिली निचली अदालत से मिली जमानत को कोर्ट में चुनौती देने का निर्णय लिया है। आर्थिक अपराध ईकाई के अपर पुलिस महानिदेशक नय्यर हसनैन खान ने यह जानकारी दी है।
आर्थिक अपराध ईकाई के एसपी और बीपीएससी पेपरलीक मामले की जांच कर रहे एसआईटी के प्रमुख सुशील कुमार ने बताया कि इस मामले में 18 लोग अभी भी जेल में हैं। रजक आइपीसी की धारा 467 के तहत न्यायिक हिरासत में 60 दिन की अवधि पूरी होने के आधार पर जमानत दी गयी है। यह इस धारा की अनुचित व्याख्या है जिसे ऊपरी अदालत में चुनौती देने का निर्णय लिया गया है।
कुमार ने बताया कि निचली अदालत ने छत्तीसगढ़ हाइकोर्ट के एक न्यायिक आदेश को आधार मानकर रजक को आइपीसी की धारा 467 का लाभ देते हुए जमानत दी है जो उचित नहीं है। विदित हो कि धारा 467 में आजीवन कारावास या दस वर्ष के कारावास की सजा का प्रावधान है। पूर्व से इस आधार पर न्यायिक हिरासत में निरुद्ध होने की अवधि 90 दिन है। इसी को आधार मानकर अनुसंधाक ने अदालत में आरोप पत्र समर्पित कर दिया था! फिर भी आरोपित को जमानत दे दी गयी।
मालूम हो कि बीपीएससी पेपरलीक मामले में गिरफ्तार रंजीत कुमार रजक इस मामले में अप्राथमिकी अभियुक्त हैं। बीपीएसीसी 67वीं संयुक्त प्रवेश परीक्षा पेपरलीक मामले में रजक की संलिप्तता साबित होने पर उन्हें गिरफ्तार किया गया था। रजक पूर्व में भी एक भर्ती घोटाला में आरोपित हैं।