गरीबों और किसानों के लिए कोई ठोस राहत नहीं
स्कीम वर्करों की मांगें फिर अनदेखी, मनरेगा और कृषि बजट में कटौती
महिला एवं बाल विकास विभाग के बजट में कमी
बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने के सवाल पर कोई पुनर्विचार नहीं
स्थायी नौकरियों और बेरोजगारी पर सरकार का कोई ठोस कदम नहीं
स्टेट डेस्क/पटना: भाकपा (माले) राज्य सचिव कुणाल ने केंद्रीय बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह बजट गरीबों की कल्याणकारी योजनाओं में कटौती, किसानों के लिए कोई राहत नहीं और स्कीम व अन्य मजदूरों की सुरक्षा की अनदेखी करने वाला बजट है। इससे आर्थिक असमानता और बढ़ेगी, बेरोजगारी और महंगाई की मार तेज होगी, जबकि कॉर्पोरेट मुनाफे लगातार आसमान छूते रहेंगे।
बजट में प्रधानमंत्री आवास योजना और राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल मिशन के लिए आवंटन आधे से भी कम कर दिया गया है। मनरेगा, ग्रामीण सड़कों और दलित छात्रवृत्ति जैसी योजनाओं के बजट में कटौती से ग्रामीण बेरोजगारी और असमानता और बढ़ेगी।
सरकार का किसानों की आय दोगुनी करने का दावा पूरी तरह खोखला साबित हुआ है, क्योंकि कृषि और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए बजटीय आवंटन पिछले साल की तुलना में घटा दिया गया है। एमएसपी पर भी बजट चुप है।
आशा, आंगनबाड़ी और मिड-डे मील कर्मियों के मानदेय में कोई वृद्धि नहीं की गई और न ही उन्हें सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने की कोई पहल हुई। महिला एवं बाल विकास विभाग के बजट में कटौती की गई, जबकि महंगाई लगातार बढ़ रही है।
सरकार ने कॉर्पोरेट टैक्स नहीं बढ़ाया, जबकि अब उनका कुल कर भुगतान व्यक्तिगत आयकर से भी कम हो गया है। वास्तविक मजदूरी घटी, लेकिन कॉर्पोरेट मुनाफा चार गुना बढ़ गया। बीमा क्षेत्र में 100% एफडीआई की अनुमति देकर सरकार ने किसानों और आम लोगों को निजी कंपनियों के भरोसे छोड़ दिया है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का बजट ₹15,684 करोड़ से घटाकर ₹1,242 करोड़ कर दिया गया, जिससे किसानों का संकट और गहरा होगा। बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग वर्षों से लंबित है, लेकिन सरकार ने इस पर कोई पुनर्विचार नहीं किया। मखाना उद्योग को लेकर चर्चा तो हुई, लेकिन कोई ठोस सहायता की घोषणा नहीं की गई। स्थानीय किसान और व्यापारी आज हाशिए पर चले गए हैं।
स्थायी नौकरियों को लेकर कोई नीति घोषित नहीं की गई, जिससे बेरोजगारी की समस्या और गहराएगी। भाकपा (माले) इस जनविरोधी बजट का कड़ा विरोध करती है और जनता से अपील करती है कि इस अन्यायपूर्ण नीतियों के खिलाफ संगठित होकर संघर्ष तेज करें