पटना, बीपी प्रतिनिधि। पटना एसएसपी किसे बेवकूफ बना रहे है। पूरे होशोहवाश में गंभीर राजनीतिक बयान देने के बाद अब एक चालाक और शातिर लोमड़ी की तरह व्यवहार कर रहे है। उन्होंने जानबूझकर पाकिस्तान प्रायोजित और इस्लामी कट्टरवादी संगठनों द्वारा आंतरिक सुरक्षा खतरे की एक बहुत गंभीर बहस को एक अलग मोड़ दे दिया है। दुर्भाग्यपूर्ण है कि अब पटना एसएसपी अपनी सफाई में जो बातें कह रहें हैं वो और भी ज्यादा खतरनाक है। एसएसपी का यह कहना कि उन्होंने जो कुछ भी कहा वह पूछताछ के दौरान पीएफआई द्वारा बताया गया था कि वो लोग आरएसएस की तर्ज पर शाखायें चलाते हैं।
क्या एसएसपी अपने बयानों से अप्रत्यक्ष तौर पर पब्लिक डोमेन में पीएफआई को क्लीनचिट देकर कैरेक्टर सर्टिफिकेट दे रहे हैं? क्या एसएसपी को यह नहीं मालूम कि एक गंभीर विषय पर जिसमें भारत को बड़े तौर पर दहलाने की साजिश है, हल्की बयानबाजी नहीं करनी चाहिए। अगर वे इन्वेस्टिगेशन कर रहे हैं उसकी हर बात का खुलासा करना क्या जरूरी है?
क्या एसएसपी बयानों माध्यम से पीएफआई के अप्रत्यक्ष- प्रत्यक्ष प्रवक्ता के तौर पर एक पाकिस्तान परस्त, राष्ट्रविरोधी और धार्मिक कट्टरपंथी संगठन को पॉजिटिव पर्सपेक्टिव में दिखलाने की कोशिश कर रहे हैं? साथ ही एसएसपी बतायें कि 100साल पूरा करने जा रहे हैं एक महान राष्ट्रवादी- सांस्कृतिक संगठन आरएसएस को निगेटिव पर्सपेक्टिव में दिखलाकर अपने किस आका को खुश करना चाहते हैं?
पटना एसएसपी को शर्म आनी चाहिए कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के पटना दौरे पर बड़ी घटना को अंजाम देने और भारत को दहलाने की गंभीर साजिश के खिलाफ जब राष्ट्रहित में मामले की जांच कर रहे हैं तो उनको विषय की गंभीरता का अहसास नहीं।