केंद्र सरकार की शिक्षा प्रणाली में बदलाव की घोषणा, कक्षा 5 और 8 में भी फेल होंगे छात्र

पटना

अशोक “अश्क” केंद्र सरकार ने देश की शिक्षा व्यवस्था में एक बड़ा बदलाव करते हुए कक्षा पांच और आठ के छात्रों को अब फेल करने का निर्णय लिया है। शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी नए आदेश के मुताबिक, कक्षा पांच और आठ के छात्र अगर वार्षिक परीक्षा में असफल होते हैं, तो उन्हें दो महीने के भीतर पुनः परीक्षा देने का अवसर मिलेगा। यदि इस परीक्षा में भी वे असफल रहते हैं, तो उन्हें फेल कर दिया जाएगा और अगले साल उसी कक्षा में फिर से पढ़ाई करनी पड़ेगी।

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यह बदलाव उस नीति के उलट है, जिसे 2010-11 में लागू किया गया था। तब से लेकर अब तक, कक्षा आठ तक के छात्रों को फेल नहीं किया जाता था। इसके तहत, भले ही छात्र परीक्षा में असफल होते, वे अगले कक्षा में प्रमोट कर दिए जाते थे। इस व्यवस्था को नो डिटेंशन पॉलिसी के नाम से जाना जाता था और यह बच्चों को तनावमुक्त तरीके से पढ़ाई जारी रखने का अवसर देती थी।

हालांकि, इस नीति के कारण शिक्षा के स्तर में गिरावट आई, जिसका असर बाद में 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं पर पड़ा। हालिया बदलाव के तहत, यदि छात्र एक बार पुनः परीक्षा में फेल हो जाता है, तो उसे सुधार का एक और मौका दिया जाएगा। इस दौरान शिक्षक विशेष रूप से उन छात्रों पर ध्यान देंगे जो फेल हुए हैं, और साथ ही उनके अभिभावकों को भी मार्गदर्शन प्रदान किया जाएगा।

मंत्रालय का कहना है कि इस बदलाव का उद्देश्य छात्रों की शिक्षा का स्तर बढ़ाना और उन्हें अपने प्रदर्शन में सुधार करने का एक स्पष्ट अवसर देना है। नो डिटेंशन पॉलिसी को शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के तहत लागू किया गया था। इस नीति के तहत, कक्षा पांच और आठ तक के सभी बच्चों को पारंपरिक परीक्षाओं का सामना किए बिना अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया जाता था। इस नीति का मुख्य उद्देश्य बच्चों के सतत और व्यापक मूल्यांकन पर जोर देना था, जिससे उनकी समग्र विकास पर ध्यान दिया जा सके।

हालांकि, इस नीति ने बच्चों के अकादमिक प्रदर्शन में कोई खास सुधार नहीं किया और लंबे समय बाद सरकार को इसे बदलने का फैसला लेना पड़ा। नई व्यवस्था के तहत, यदि छात्र दोबारा परीक्षा में भी असफल हो जाता है, तो उसे अगली कक्षा में प्रमोट नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही, छात्र को अपनी कमियों को सुधारने के लिए अतिरिक्त अवसर दिए जाएंगे। यह कदम शिक्षा प्रणाली को और मजबूत बनाने और छात्रों की बुनियादी समझ को बेहतर बनाने के लिए उठाया गया है।

इस बदलाव का उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाना और छात्रों को अपने प्रदर्शन के प्रति जिम्मेदार बनाना है। उम्मीद की जा रही है कि इस नए नियम से बच्चों के अकादमिक स्तर में सुधार होगा, और आने वाले वर्षों में 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं में बेहतर परिणाम देखने को मिलेगा।