बांग्लादेश बॉर्डर पर बदलते हालात बीएसएफ और बीजीबी के रिश्तों में आई विश्वास की कमी

पटना

पटना, अशोक “अश्क” बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के अपदस्थ होने के बाद भारत-बांग्लादेश सीमा पर हालात तेजी से बदल रहे हैं। बॉर्डर पर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पहले से अधिक सतर्कता बरती जा रही है, और दोनों देशों की सीमा सुरक्षा बलों बीएसएफ और बीजीबी के बीच रिश्तों में एक नई धार देखी जा रही है।

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सूत्रों के अनुसार, पिछले साल अगस्त में बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद भारत द्वारा सीमा पर सुरक्षा उपायों को लेकर कई नए प्रयास किए गए, जिनमें फेंसिंग लगाने का काम भी शामिल था। हालांकि, जब बीएसएफ ने बॉर्डर से 150 गज के दायरे में फेंसिंग लगाने की योजना बनाई, तो बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (BGB) ने इस पर आपत्ति जताई, जिसके बाद यह कार्य रुक गया।

इसका जवाब देते हुए, बांग्लादेश ने अपनी ओर अंतरराष्ट्रीय सीमा (लसे 150 गज के भीतर बंकर और घर बनाने की कोशिश की। इस पर बीएसएफ ने कड़ी आपत्ति जताई और बांग्लादेश को ये गतिविधियां रोकनी पड़ी।नअब एक और नया बदलाव देखा जा रहा है। बांग्लादेश की नई सरकार, जिसका नेतृत्व मोहम्मद यूनुस कर रहे हैं, ने बॉर्डर पर तैनात बीजीबी के अफसरों और जवानों को हटाकर नए अधिकारियों की तैनाती की है।

ये वे जवान थे, जो शेख हसीना सरकार के कार्यकाल से सीमा पर तैनात थे और बीएसएफ के साथ सामंजस्य बिठाकर काम कर रहे थे। सूत्रों के अनुसार, इस फेरबदल के पीछे बांग्लादेश की रणनीति यह है कि बीजीबी फिलहाल बीएसएफ के प्रति किसी भी तरह की नरमी न दिखाए। इससे भारत को एक स्पष्ट संदेश दिया जा रहा है कि बांग्लादेश की मौजूदा सरकार बॉर्डर पर नीतियों को लेकर सख्त रुख अपनाएगी।

बीएसएफ अधिकारियों का कहना है कि जब तक शेख हसीना की सरकार थी, तब तक बॉर्डर पर अगर कोई भारतीय किसान, मछुआरा या नागरिक गलती से बांग्लादेश की सीमा में घुस जाता था, तो बीएसएफ और बीजीबी आपसी तालमेल से उसे भारत वापस भेज देते थे। लेकिन अब इस प्रक्रिया में बदलाव आ गया है। अब अगर कोई भारतीय नागरिक गलती से बांग्लादेश की सीमा में प्रवेश कर जाता है, तो बीजीबी उसे तत्काल वापस नहीं करता।

इसके बजाय, पहले वे अपने उच्च अधिकारियों को इसकी सूचना देते हैं और उनके आदेश के बाद ही आगे की कार्रवाई होती है। इससे भारतीय नागरिकों की वापसी में देरी हो रही है और स्थानीय किसानों, मछुआरों व अन्य निवासियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बीएसएफ अधिकारियों के मुताबिक, बॉर्डर पर पहले से ही घुसपैठ और तस्करी जैसी चुनौतियों से निपटना जरूरी था, लेकिन अब बांग्लादेश की ओर 150 गज के दायरे में बंकर और नए निर्माण कार्यों की गतिविधियां भी तेज हो गई हैं।

इससे भारतीय सुरक्षा बलों को अतिरिक्त सतर्कता बरतनी पड़ रही है। बीएसएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा बॉर्डर पर हालात अब पहले की तरह सामान्य नहीं रहे। हालांकि, यह भी नहीं कहा जा सकता कि बीएसएफ और बीजीबी के रिश्तों में कोई बड़ी खटास आई है। बॉर्डर पर तैनात जवानों के अनुसार, दोनों देशों की फोर्स अब शांत रहते हुए सिर्फ अपनी ड्यूटी पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं।

पहले की तरह सौहार्दपूर्ण माहौल में बातचीत कम हो गई है और दोस्ताना संबंधों में हल्की ठंडक देखी जा रही है। सीमा पर तैनात भारतीय जवानों ने इस बदलाव को महसूस किया है। अब बीएसएफ के प्रयास हैं कि भारतीय नागरिक किसी भी स्थिति में बांग्लादेश सीमा न पार करें, क्योंकि उनकी वापसी में अब पहले की तुलना में अधिक जटिलताएं आ रही है।

विशेषज्ञों का मानना है कि बांग्लादेश की नई सरकार अपनी विदेश नीति को संतुलित करने की कोशिश कर रही है, जिसमें वह भारत के साथ अत्यधिक नजदीकी से बचना चाहती है। इसलिए बॉर्डर पर सुरक्षा नीतियों में बदलाव किए जा रहे हैं।

हालांकि, दोनों देशों के बीच व्यापारिक और कूटनीतिक संबंध अब भी मजबूत हैं, लेकिन सीमा पर सुरक्षा और रणनीति को लेकर नई सरकार ने अलग दिशा में कदम बढ़ाए हैं। आने वाले समय में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि भारत और बांग्लादेश के बीच कूटनीतिक बातचीत से बॉर्डर पर बने तनावपूर्ण माहौल को कम किया जा सकता है या नहीं।