23 मार्च से 22 अप्रैल तक भाकपा-माले का ‘लोकतंत्र बचाओ जनसंवाद’!

पटना

रैली–महाधिवेशन के संदेश को व्यापक जनता के बीच ले जाने का निर्णय

स्टेट डेस्क/पटना :15 फरवरी की ऐतिहासिक गांधी मैदान की रैली और सफल महाधिवेशन के उपरांत विगत दिनों भाकपा माले की राज्य कमेटी की बैठक संपन्न हुई. राज्य कमेटी की बैठक के हवाले से माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि रैली और महाधिवेशन के संदेश को व्यापक जनता के बीच ले जाने के लिए पार्टी की ओर से 23 मार्च से लेकर 22 अप्रैल तक लोकतंत्र बचाओ जनसंवाद का आयोजन किया जाएगा.

उन्होंने कहा कि जनसंवाद के दौरान 23 मार्च (भगत सिंह शहादत दिवस) और 14 अप्रैल (डा. अंबेडकर की जयंती)  के अवसर पर पूरे राज्य में कार्यक्रम होंगे. सिवान में 31 मार्च का. चंद्रशेखर के शहादत दिवस के अवसर पर गांव-गांव में कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. जनसंवाद के तहत गांव – गांव में सघन बैठक व पदयात्रा आयोजित होगी और जन सवालों को सूत्रबद्ध करके उनपर आंदोलन आदि के कार्यक्रम लिए जाएंगे.

जनसंवाद के कार्यक्रम को प्रमुख विधानसभा और लोकसभा क्षेत्रों में सघन रूप से चलाया जाएगा. कार्यक्रमों में सभी विधायक अपने- अपने इलाक़ों में मौजूद रहेंगे. उन्होंने कहा कि 20 वर्षों बाद पटना में दुबारा आयोजित महाधिवेशन और रैली अपनी विशालता व भव्यता के लिए लंबे समय तक याद की जाएगी. फासीवाद के वर्तमान बढ़े हुए हमले के दौर में इसने देश में चल रहे फासीवाद विरोधी संघर्षों को नई ताकत दी है और भाकपा (माले) को संघर्ष के एक मजबूत केंद्र के बतौर स्थापित किया है.

रैली में मानदेय कर्मियों सहित विभिन्न किस्म के संघर्षों में शामिल तबकों, सरकार द्वारा उजाड़े गए गरीब–गुरबों, बुद्धिजीवियों व शहरी मध्य वर्ग के लोगों की जबरदस्त भागीदारी थी. इस संदेश को गांव – गांव ले जाने के लिए ही जनसंवाद का कार्यक्रम हो रहा है. भाजपा जहां अन्य राज्यों में चुनी हुई सरकारों को बेदखल कर सत्ता हथियाती रही है, वहीं इसके विपरीत बिहार में भाजपा को सत्ता से बेदखल कर दिया गया. इसकी चर्चा बिहार मॉडल के रूप में हो रही है. 

बिहार मॉडल महज महागठबंधन की सरकार बनाकर भाजपा को सत्ता से बाहर करना भर नहीं है. बिहार मॉडल जन आंदोलनों का मॉडल है. एआईपीएफ (ऑल इंडिया पीपुल्स फोरम) और वकीलों के संगठन आईलाज (ऑल इंडिया लायर्स एसोसिएशन फॉर जस्टिस) का राज्य ढांचा गठित करने का भी निर्णय लिया गया.  इंसाफ मंच का राज्य सम्मेलन करने और आदिवासी संघर्ष मोर्चा गठित करने पर भी चर्चा हुई.

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