संसद और विधानसभाओं में महिला आरक्षण लागू कराने को सीपीआइ की सांसद गीता मुखर्जी ने तैयार की थी जमीन!

पटना

-गीता मुखर्जी की सौंवी सालगिरह पर सेमिनार में वक्ताओं ने कहा , वह महिलाओं की सशक्त आवाज थीं

स्टेट डेस्क/पटना: गीता मुखर्जी महिला अधिकारों के लिए लगातार संघर्षरत रहीं। उन्होंने हमारे लिए एक समृद्ध विरासत छोड़ी है। इस विरासत पर डटे रह कर ही हम वर्तमान समय की मुश्किलों से लड़ सकते है। ये बात नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वूमेन की उपाध्यक्ष श्यामोश्री दास ने कही। पश्चिम बंगाल की पंस्कुरा पूर्वी सीट से चार बार विधायक और पंस्कुरा लोकसभा क्षेत्र से सात बार सांसद रही गीता मुखर्जी की सहयोगी श्यामोश्री दास ने मंगलवार को पटना के गांधी संग्रहालय में आयोजित सेमिनार को संबोधित कर रही थीं।

सेमिनार का आयोजन बिहार महिला समाज ने गीता मुखर्जी की सौंवी सालगिरह पर किया था जिसका विषय था “महिलाओं की सशक्त आवाज गीता मुखर्जी।” 1924 में पश्चिम बंगाल के एक मध्य वर्गीय परिवार में जन्मी गीता मुखर्जी का ये जन्मशताब्दी वर्ष है। सीपीआइ सांसद गीता मुखर्जी 1996 में महिला आरक्षण को लेकर संसद में बनी संयुक्त समिति की अध्यक्ष थी। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट में विधानसभा और लोकसभा में आरक्षण की वकालत की थी। लेकिन 26 साल बाद भी महिला आरक्षण विधेयक लटका हुआ है।

इस मौके पर बिहार महिला समाज की अध्यक्ष सुशीला सहाय ने 80 के दशक में गीता मुखर्जी की बिहार यात्रा को याद करते हुए कहा कि उनको देखकर सीखा जा सकता था कि नेतृत्व को कितना सहज सरल होना चाहिए। इतिहासकार प्रो. चंदना झा ने कहा कि दुनिया भर में महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी है। उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि महिला आरक्षण को लेकर लंबी लड़ाई का नतीजा महिलाओं के पक्ष में ही आएगा। इससे पहले सेमिनार का विषय प्रवेश करते हुए बिहार महिला समाज की कार्यकारी अध्यक्ष निवेदिता झा ने कहा कि गीता मुखर्जी के दिखाए गए संघर्ष के रास्ते पर चलकर ही महिलाओं के लिए अच्छी दुनिया बनाई जा सकती है।

संगठन की महासचिव राजश्री किरण ने कहा कि गीता मुखर्जी संसद के अंदर और बाहर, महिला सशक्तीकरण के लिए संघर्ष करती रही। इस मौके पर बिहार महिला उद्योग संघ की अध्यक्ष उषा झा ने कहा कि जब कभी नेतृत्व में महिलाएं आती है तो वो दूसरी महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित करती है। गीता मुखर्जी ऐसी ही एक स्वतंत्र चेतना वाली स्त्री थीं। इससे पहले सेमिनार का आगाज बिहार महिला समाज द्वारा संचालित सिलाई स्कूल की छात्राओं के सामूहिक गायन और स्वाति के एकल गायन से हुआ। कार्यक्रम का संचालन शाइस्ता अंजुम और धन्यवाद ज्ञापन रिंकू कुमारी ने किया।