दीपंकर ने कहा-तबाही का दूसरा नाम हैं मोदी! अडाणी का पतन हो रहा है, 2024 में नरेंद्र मोदी का भी पतन होगा!

पटना

State Desk : भाकपा-माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि देश की सत्ता पर काबिज नरेंद्र मोदी सरकार तबाही का दूसरा नाम है! उसे रोकना होगा। देश को उसके खिलाफ लंबी लड़ाई लड़नी होगी। उसके खिलाफ बिहार से निर्णायक लड़ाई शुरू होगी। 2023 में अडाणी का पतन शुरू हुआ है, 2024 में मोदी का पतन होगा। दीपंकर बुधवार को भाकपा – माले के 11 वां महाधिवेशन और 15 फरवरी की रैली को लेकर प्रकाशित स्मारिका के विमोचन समारोह को संबोधित कर रहे थे। माले महासचिव ने अडाणी के मामले में हिंडनबर्ग के खुलासे पर कहा कि यह भाजपा-संघ के कंपनी राज की लूट और झूठ का पहला बड़ा खुलासा है. इस मसले पर विपक्षी दलों की ओर से जेपीसी से जांच की मांग वाजिब है.

माले इस मुद्दे पर राष्ट्रव्यापी अभियान चलाएगी. उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी की राजनीति सत्ता और गौतम अडाणी की आर्थिक सत्ता का एक साथ उदय हुआ था। यह संयोग नहीं है। एक-दूसरे के तार जुड़े हैं। अब अगर अडाणी डूब रहे हैं तो मोदी भी बच नहीं पायेंगे। 2023 में अडाणी का पतन हुआ है, 2024 में मोदी का पतन होगा.

उन्होंने कहा, अडाणी कांड भारत की आर्थिक नीतियों की केंद्रित अभिव्यक्ति है। पूरी दुनिया इस पर बहस कर रही है। इस पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) बने और जांच हो जाये। देश को पता चले कि अडाणी को ताकत कहां से मिलती है। देश में 2024 में चुनाव होना है। मोदी सरकार ने बीबीसी की रिपोर्ट बैन कर दी। गुजरात दंगे में नरेंद्र मोदी की भूमिका पर बीबीसी की रिपोर्ट/वीडियो देखने पर पाबंदी लगा दी। लेकिन वे अडाणी के शेयरों को गिरने से नहीं रोक सके।

माले महासचिव ने कहा, नरेंद्र मोदी सरकार इस देश को गुलामी के दौर में ले जा रही है। सबकुछ एक हाथ में कैद करना चाहती है। राजनीतिक सत्ता, आर्थिक सत्ता सब एक हाथ में कैद करना चाहती है। लेकिन इस देश के किसान मोदी सरकार को रोकने के लिए सबसे पहले आगे आये। उन्होंने तय कर लिया कि अंबानी-अडाणी के हाथों में खेती नहीं जाने देंगे। किसानों की ताकत के आगे मोदी सरकार को अपने कदम पीछे खींचने पड़े। आज देश में विरोध की ताकत एकताबद्ध हो रही है।

हम सब आंदोलन के सिपाही हैं। बिहार मॉडल जो जनता की ताकत पर खड़ा है,वह मोदीराज के खिलाफ निर्णायक लड़ाई के लिए तैयार हो रहा है। हमारी पार्टी का 11वां महाधिवेशन उसी दिशा में बड़ा कदम है। 15 फरवरी की रैली भाकपा-माले की अबतक की सबसे बड़ी रैली होगी, जिसमें मजदूर-किसानों सहित स्कीम वर्कर, ठेका नियोजन मानदेय पर कार्यरत कर्मी और बेरोजगार नौजवानों की बड़ी हिस्सेदारी होगी।