चरम बेरोजगारी-नफरत-हिंसा के इस काल को अमृत काल बताना जनता का घोर अपमान!

पटना

राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान माले विधायक ने पढा समानांतर, नीतीश पर बिहार के भाजपाकरण का आरोप

हेमंत कुमार/पटना: बिहार विधान मंडल के बजट सत्र के मौके पर राज्यपाल फागू चौहान के अभिभाषण के दौरान भाकपा-माले के विधायक सत्यदेव राम ने समानांतर भाषण किया! माले विधायक ने कहा, चरम बेरोजगारी-नफरत-हिंसा-दमन-सांप्रदायिक हिंसा के इस काल को अमृत काल बताया जाना गरीबों-मजदूरों-अल्पसंख्यकों व महिलाओं के साथ क्रूर मजाक है. अब इस सरकार के दिन पूरे हो चुके हैं।

उन्होंने कहा, भाजपा-जदयू सरकार अपनी अंतिम सांसें गिन रही है। नीतीश सरकार के ‘सुशासन’ ‘न्याय के साथ विकास’ आदि सभी नरेटिव ध्वस्त हो गए हैं, तब नीतीश कुमार जी समाज सुधार यात्रा का ढोंग करने चले हैं। शराबबंदी पर बड़ी-बड़ी बातें करने वाली यह सरकार शराब माफियाओं को बचाने का काम कर रही है और जहरीली शराब के जरिए राज्य में लगातार दलितों-गरीबों का जनसंहार रचाया जा रहा है। अधिकार, बराबरी, रोजगार आदि बुनियादी प्रश्नों को छोड़कर और फासीवादी-मनुवादी भाजपा के साथ रहकर ये कौन सा समाज सुधार कर रहे हैं? पूरा बिहार इस सरकार की हकीकत से रूबरू हो चुका है। अभी कुछ दिन पहले समस्तीपुर में आरएसएस के गुंडों ने जदयू के एक मुस्लिम नेता खलील रिजवी की माॅब लिंचिंग कर दी, क्या अब भी नीतीश कुमार यह कहेंगे कि बिहार में सुशासन की ही सरकार चल रही है?

पूरे राज्य के भाजपाकरण की कोशिश

माले विधायक ने कहा, भाजपा आज पूरे राज्य में संवैधानिक मूल्यों की हत्या कर रही है. तमाम प्रतीकों व संस्थाओं का भाजपाईकरण हो रहा है. यह बेहद शर्मनाक है कि बिहार विधानसभा में बन रहे स्तम्भ से बिहार शब्द को गायब कर दिया गया है, जो उर्दू में लिखा था और नीतीश कुमार ने भाजपा के एजेंडे के सामने पूरी तरह समर्पण कर दिया है। वे धर्मनिरपरेक्षता का ढोंग अब न करें। उन्हें अब बताना होगा कि वे किस ओर खड़े हैं। इस ओर या उस ओर? उनका यह दोहरा चरित्र बिहार की जनता लंबे समय से देख व समझ रही है। बिहार की जनता जानना चाहती है कि आखिर क्यों अभी तक समस्तीपुर के आधारपुर के मुस्लिमों को न्याय नहीं मिला? हिजाब का मामला अब केवल कर्नाटक तक सीमित नहीं रह गया है. बिहार के बेगूसराय में एक मुस्लिम महिला को परेशान किया गया। उसे हिजाब उतारने को कहा गया. कहा गया कि जबतक हिजाब नहीं उतरेगा उसे बैंक में प्रवेश नहीं मिलेगा। यह कौन सी संस्कृति भाजपा पूरे देश और बिहार में स्थापित कर रही है और नीतीश कुमार चुप बैठकर तमाशा देख रहे हैं। आरएसएस के लोगों को कुलपतियों के पद पर बैठाया जा रहा है। संविधान के मूल्यों की खुली अवहेलना हो रही है।

नीति आयोग की रिपोर्ट और बिहार का सच

माले विधायक ने कहा, ‘न्याय के साथ विकास’ के नीतीश जी के दावे की पोल तो नीति आयोग की रिपोर्ट ने उधेड़ कर रख दिया. विकास के तमाम सूचकांकों में हमारा राज्य नीचे से टाॅप पर है. विकास के किसी एक मानदंड पर तो आप खड़े रहते. यह कैसा विकास है जो बिहार की जनता को कुछ समझ में नहीं आ रहा है.

स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर इन तीनों मानदंडों पर बिहार कहीं नहीं टिकता. 51.9 फीसदी आबादी आज भी गरीबी रेखा के नीचे है।

बेरोजगारी, गरीबी, शिक्षा व स्वास्थ्य, कानून व्यवस्था, बिजली, कुकिंग, स्कूलों में छात्रों की भागीदारी, महिला सुरक्षा आदि सभी मानदंडों पर नीतीश जी के शासन में बिहार रसातल में चला गया है और न केवल नीति आयोग बल्कि देश-विदेश के जितने भी प्रतिष्ठित मानक संस्थानों की रिपोर्ट की चर्चा कर लें, हर जगह इसी प्रकार का आंकड़ा सामने आता है।

आखिर यह सरकार कब तक आंकड़ों की बाजीगरी दिखलाती रहेगी. यदि लोगों के जीवन स्तर में ही सुधार न हुआ तो पुल-पुलिया बनाकर आखिर कौन सा विकास का माॅडल यह सरकार पेश कर रही है? पुल-पुलिया के निर्माण में भी व्यापक पैमाने पर संस्थागत भ्रष्टाचार ही आज का सच है।