स्टेट डेस्क/पटना : मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित समाजसेवी व शिक्षाविद डा संदीप पाण्डेय ने 106 वर्ष प्राचीन पटना संग्रहालय को बचाने के लिए मूसलाधार बारिश में संग्रहालय के बाहर खड़े होकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। उन्होंने
संग्रहालय का अवलोकन करते हुए कहा कि मैं पटना की सबसे खूबसूरत इमारत के सौंदर्य को देखकर अभिभूत हूं।
इंडो-सारासैनी शैली से निर्मित इस संग्रहालय को अगर लोगबाग ” जादूघर” कहते हैं तो इस संग्रहालय के जादू को बचाना हमारी जिम्मेवारी है। मैं यह जानकर आश्चर्यचकित हूं कि बिहार में “बिहार निर्माता” डॉ.सच्चिदानंद सिन्हा के ड्रीम प्रोजेक्ट के अस्तित्व को नष्ट कर दूसरा संग्रहालय खड़ा किया जा रहा है।
उन्होंने कहा ,दुनियां की पहली घटना है, जब 100 वर्ष प्राचीन देश के प्रसिद्ध संग्रहालय में संग्रहित पुरातत्वों को स्थानांतरित कर दूसरा संग्रहालय बनाया जा रहा हो। डा पाण्डेय ने कहा कि यह दुःखद है कि डा सच्चिदानंद सिन्हा जिस संविधान सभा के प्रथम कार्यकारी अध्यक्ष थे,उस संविधान पर एक फासीवादी सरकार से खतरा है तो दूसरी ओर उनके प्रयासों से बने बिहार प्रदेश में उनकी परिकल्पना से निर्मित इतिहास की महान विरासत को बिहार की सरकार खत्म करना चाह रही है।
डा.सच्चिदानंद सिन्हा, महान इतिहासकार काशी प्रसाद जायसवाल और महापंडित राहुल सांकृत्यायन जैसे महान विभूतियों के पसीने से निर्मित संग्रहालय के अस्तित्व को अक्षुण्ण रखना कृतज्ञ राष्ट्र की जिम्मेवारी है। उन्होंने कहा, पुरातत्वों को एनजीओ के मातहत सुपुर्द करने से उसकी सुरक्षा पर खतरा स्वाभाविक है। मैंने संग्रहालय परिसर के भीतर जाकर जो तोड़फोड़ और अराजकता का दृश्य देखा है, उससे पुरातत्वों की सुरक्षा के प्रति मेरा संशय बढ़ गया है।
जब संग्रहालय का भवन जर्जर नहीं हुआ है तो गैलरी को मरम्मत के नाम पर खाली क्यों कराया जा रहा है! इन पुरातत्वों की पैकिंग हो रही है फिर इनके साथ क्या होगा,कौन जानता है।भारत सरकार देश से बाहर से गायब पुरातत्वों को स्वदेश वापस ला रही है। ऐसे में बिहार में 106 वर्ष प्राचीन संग्रहालय के स्वामित्व को एक एनजीओ को सौंपना पुरातत्वों की तस्करी की आशंका को बल प्रदान करता है। इस संग्रहालय के सबसे बड़े दानदाता राहुल सांकृत्यायन के कंडीशनल गिफ्ट का अपमान असह्य है।
आखिर मुख्यमंत्री राहुल सांकृत्यायन की पुत्री के पत्रों के आलोक में उनसे संवाद और सकारात्मक कार्रवाई के लिए क्यों नहीं तैयार हैं। पटना संग्रहालय बचाओ अभियान की मांगों का समर्थन करते हुए डा.संदीप पाण्डेय ने कहा , मैं पटना संग्रहालय को बचाने के लिए शीघ्र ही राहुल सांकृत्यायन के आजमगढ़ स्थित गांव से पटना तक की पदयात्रा आयोजित करने पर विचार कर रहा हूं।
मुख्यमंत्री खुद समाजवादी पृष्ठभूमि से जुड़े हुए हैं इसलिए उनसे अपेक्षा है कि वे पटना संग्रहालय बचाओ अभियान के मुद्दों को गंभीरता से लें और इतिहास को नष्ट करने के कलंक से बचें। डा पांडेय के साथ पटना संग्रहालय बचाओ अभियान के संयोजक पुष्पराज और एनपीएम के बिहार समन्वयक महेंद्र यादव मौजूद थे। पटना संग्रहालय बचाओ समिति की मांगों का डा पाण्डेय ने समर्थन किया है।
पटना संग्रहालय बचाओ अभियान की मुख्य मांगें-…
1.पटना संग्रहालय का संचालन एवं प्रबंधन सोसायटी एक्ट से संचालित बिहार म्यूजियम सोसायटी को सौंपने की अधिसूचना रद्द की जाये.
- प्रस्तावित 542 करोड़ के सुरंग से बिहार संग्रहालय समिति को पटना संग्रहालय से सुरंग मार्ग से जोड़ने की योजना पर रोक लगाई जाये.
- पटना संग्रहालय से गैर-कानूनी तरीके से स्थानांतरित सभी पुरावशेषों एवं दुर्लभ सिक्कों को मुआवजा सहित पटना संग्रहालय में पुनर्स्थापित किया जाये।
4.महापंडित राहुल सांकृत्यायन के द्वारा दान में प्राप्त पांडुलिपियों (लुप्त भारतीय ज्ञान),थंका पेंटिंग व पुरातत्वों को कड़ी निगरानी में सुरक्षित किया जाए - पटना संग्रहालय की सुरक्षा के लिए उच्च न्यायालय की देखरेख में एक न्यायिक समिति का गठन किया जाना चाहिए और पटना संग्रहालय के पुरावशेषों के अवैध हस्तांतरण और दुरुपयोग में शामिल अधिकारियों का दोष प्रमाणित होने पर उन्हें दंडित किया जाए।
6.राजधानी पटना की सबसे खूबसूरत इमारत पटना संग्रहालय के किसी भी हिस्से को टूटने से बचाया जाए