कृषि विज्ञान केन्द्रों के सशक्तिकरण से बढ़ेगी किसानों की आय : डॉ. अंजनी कुमार

पटना

विक्रांत। बी.ए.यू., सबौर में अटारी, पटना द्वारा आयोजित बिहार और झारखंड के कृषि विज्ञान केंद्रों के लिए तीन दिवसीय वार्षिक क्षेत्रीय कार्यशाला के दूसरे दिन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की तकनीकों के द्वारा कृषि विज्ञान केन्द्रों का प्रौद्योगिकी बैकस्टॉपिंग हेतु तकनीकी सत्र का आयोजन किया गया।

इस तकनीकी सत्र की अध्यक्षता निदेशक, अटारी डॉ. अंजनी कुमार ने की। उन्होंने अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में कहा कि किसानों के तकनीकी ज्ञानवर्द्धन में कृषि विज्ञान केन्द्रों की महत्वपूर्ण भूमिका है। आज बिहार एवं झारखण्ड में धान, गेहूँ, मक्का एवं विभिन्न फसलों की उत्पादकता में वृद्धि हुई है, साथ ही साथ किसानों की आय में वृद्धि हुई है।

बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के निदेशक प्रसार शिक्षा, डॉ. आर. के. सोहाने ने इस तकनीकी सत्र में कृषि प्रसार के लिए प्रभावी आई.सी.टी. मॉडल अपनाने की सलाह दी। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना के निदेशक डॉ. अनूप दास ने संरक्षित कृषि के क्षेत्र में हुए नए शोध के संबंध में विस्तार से बताया जिससे के.वी.के. उन तकनीकों को अपनाकर किसानों के खेतों तक पहुँचा सके।

ICAR-MGFRI, मोतिहारी के डॉ के. जी. मंडल ने बताया कि बिहार में 3. 97 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र बाढ़ प्रभावित है जो कि देश में सबसे ज्यादा है, साथ ही साथ जल-जमाव वाले क्षेत्रों में मखाना की खेती को बढ़ावा देकर किसानों की आय में वृद्धि की जा सकती है। राष्ट्रीय लीची अनुसंधान संस्थान, मुजफ्फरपुर के निदेशक डॉ. विकास दास ने बिहार में लीची की खेती में किये गये नये अनुसंधान के विषय में जानकारी दी।

उन्होनें लीची के मूल्य संवर्द्धित उत्पाद के द्वारा लघु उद्योग लगाने के तरीके पर प्रकाश डाला। कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर, हैदराबाद के पूर्व डीन डॉ. टी.वी.के. सिंह ने रोग एवं कीट नियंत्रण हेतु मोबाइल एप्लीकेशन के माध्यम से प्रभावी निदान के विषय में प्रस्तुतिकरण दिया। बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना के उप निदेशक प्रसार शिक्षा, डॉ. पंकज कुमार ने पशुधन प्रबंधन में नवीन शोधों के माध्यम से दुग्ध उत्पादन में वृद्धि विषय पर प्रस्तुतिकरण दिया।

इस तकनीकी सत्र के संयोजक डॉ. डी. वी. सिंह, प्रधान वैज्ञानिक, अटारी, पटना ने कृषकों के जीवन-यापन में सुधार हेतु कृषि प्रसार की विभिन्न तकनीकों पर प्रकाश डाला। तकनीकी सत्र का धन्यवाद ज्ञापन डॉ. मो. मोनुरूबुल्लाह, प्रधान वैज्ञानिक, अटारी, पटना द्वारा दिया गया। संध्याकाल में विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम के माध्यम से प्रस्तुति दी गई।

कल कार्यशाला के तीसरे एवं अन्तिम दिन समापन समारोह में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के उप महानिदेशक (कृषि प्रसार) डॉ. यू. एस. गौतम तथा पी.पी.वी.एण्ड एफ.आर.ए., नई दिल्ली के अध्यक्ष, डॉ. त्रिलोचन मोहापात्रा द्वारा भाग लिया जायेगा।