पूर्व विधान पार्षद रणवीर नंदन ने जेडीयू से दिया इस्तीफा

पटना

Desk : पूर्व विधान पार्षद रणवीर नंदन ने जेडीयू से इस्तीफा दे दिया है. रणवीर नंदन ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को एक लाइन का पत्र भेजा है. इस पत्र में लिखा है-मैं पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देता हूं. इस्तीफे की कॉपी नीतीश कुमार को भी भेजा है. 

वहीं रणवीर नंदन ने अपने इस्तीफे में कोई कारण नहीं बताया है कि वे क्यों जेडीयू छोड़ रहे हैं. लेकिन उनके इस्तीफे को लेकर पार्टी में जो चर्चा है, उसके मुताबिक वे बड़े बेआबरू होकर नीतीश के कूचे से निकले हैं. पार्टी की मुख्यधारा से बिल्कुल अलग थलग कर दिये गये थे. कभी उनकी गिनती नीतीश कुमार के किचन कैबिनेट के सदस्यों में होती थी. लेकिन अब उन्हें पार्टी के 12 प्रदेश प्रवक्ताओं में एक प्रवक्ता बनाकर छोड़ दिया गया था. 

दो दिन पहले नीतीश कुमार ने पार्टी के प्रकोष्ठों के अध्यक्षों और प्रदेश प्रवक्ताओं के साथ बैठक की थी. उस बैठक से भी रणवीर नंदन गायब थे. जेडीयू सूत्रों के मुताबिक उस बैठक में रणवीर नंदन को बुलाया नहीं गया था. वैसे भी पार्टी नेतृत्व के निर्देश के मुताबिक जेडीयू के हर प्रवक्ता नियमित तौर पर पार्टी दफ्तर में प्रेस कांफ्रेंस कर रहे हैं. लेकिन रणवीर नंदन को इससे अलग रखा गया था. उन्हें जेडीयू की गतिविधियों से पूरी तरह से अलग थलग कर दिया गया था. 

बता दें कि रणवीर नंदन बीजेपी के नेता हुआ करते थे. 2013 में जब नरेंद्र मोदी के नाम पर नीतीश कुमार ने बीजेपी से नाता तोड़ा था तो रणवीर नंदन बीजेपी से छलांग मार कर जदयू  में पहुंच गये थे. इनाम के तौर पर उन्हें नीतीश कुमार ने एमएलसी बना दिया था. उस दौर में रणवीर नंदन नीतीश कुमार के किचन कैबिनेट के मेंबर माने जाते थे.

लेकिन जब उनका एमएलसी का 6 साल का टर्म पूरा हुआ तो नीतीश कुमार ने रणवीर नंदन को दुबारा मौका नहीं दिया. पार्टी में भी उन्हें कोई अहम काम नहीं सौंपा गया. ऐसे में अब रणवीर नंदन से इस्तीफा दिया है. दिलचस्प बात ये भी है कि रणवीर नंदन जेडीयू के प्रदेश प्रवक्ता हैं. उन्हें अपना इस्तीफा प्रदेश अध्यक्ष को भेजना था लेकिन उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष को त्याग पत्र भेजा है.

उधर, जदयू ने भी रणवीर नंदन  पर एक्शन लेते हुए पार्टी से छह साल के लिए बाहर कर दिया है . पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने पत्र जारी करते हुए कहा है कि- आपके द्वारा पार्टी के विचार धारा से विपरित लगातार प्रेस विज्ञप्ति / बयान देने एवं पार्टी विरोधी कार्य में संलिप्त रहने के कारण तत्काल प्रभाव से पार्टी के सभी पद से पदमुक्त कर प्राथमिक सदस्यता रद्द करते हुए छ: वर्ष के लिए पार्टी से निष्कासित किया जाता है.