स्थापना दिवस: किसानों के लिए कृषि कालेज डुमरांव वरदान

पटना

नए कुलपति के आगमन के साथ कृषि कालेज विकास को भरने लगा उड़ान

विक्रांत : डुमरांव में शाहाबाद प्रक्षेत्र के एकलौता कृषि महाविद्यालय की स्थापना से क्षेत्र में कृषि शिक्षा के प्रसार व अनुसंधान को नए आयाम मिले है। महाविद्यालय की स्थापना के महज तेरह साल के अंतराल में शाहाबाद क्षेत्र में कृषि शिक्षा का प्रसार एवं कृषि कार्य का विस्तार ही नहीं हुआ है। बल्कि सरकार का किसानों की दोगुनी आय करने का निर्णय भी कमोवेश साकार हुआ है।आज की तारीख में बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर (बीएयू) की अंगीभूत इकाई डुमरांव का वीर कुंवर सिंह कृषि महाविद्यालय कैमूर, सासाराम, भोजपुर एवं बक्सर जिला (पुराना शाहाबाद जिला) के किसानों के लिए वरदान है। इसकी मिशाल कृषि महाविद्यालय में खुला पौधा स्वास्थ उपचार केन्द्र, देश का पहला निर्माणाधीन नीलगाय शोध केन्द्र, किसान हीत में खुला काॅल सेंटर एवं नेट व पोली निर्मित नर्सरी केन्द्र के आलावे स्थानीय महाविद्यालय के विज्ञानी द्वारा जलवायु अनुकूल खेती की दिशा में की गई धान की नई प्रजाति सबौर ‘हीरा’ एवं ‘मोती’का आविष्कार है।

धान की नई प्रजाति हीरा एवं मोती का कम पानी में बेहत्तर उपज की गुणवता को लेकर इस महाविद्यालय को पूरे सूबे में ख्याति मिलने की बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। कृषि विश्वविद्यालय के दिशा निर्देश पर महाविद्यालय परिसर में समय समय पर आयोजित होने वाले सेमिनार एवं गोष्ठी में क्षेत्र के किसान भाग लेकर बौद्धिक लाभ उठाते है।कृषि को बढ़ावा दिए जानें के लक्ष्य को लेकर राज्य सरकार के पूर्व कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह के नेतृत्व में कुलपति मेवालाल चैधरी द्वारा 27 अप्रैल,वर्ष 2010 किराए के भवन में नींव रखा गया था। शुरूआत में 25 सीट वाले इस भवन का 2011-2012 से शुरू हुआ। देखते देखते ही करीब पांच साल के अंतराल में स्थानीय महरौरा रोड स्थित कृषि विभाग की जमीन पर इस महाविद्यालय का आधुनिक कलाकृति से निर्मित विशालकाय भवन बनकर तैयार हो गया।

महाविद्यालय के नए विशालकाय भवन का उद्घाटन विगत 24 जुलाई,2015 को सांसद बशिष्ठ नारायण सिंह, कृषि मंत्री विजय कुमार चैधरी, मंत्री जय कुमार सिंह,सांसद अनवर अली,विधायक संतोष निराला, विधायक स्व.डा.दाउद अली, विधायक सुखदा पांडेय, विधायक दिलमणी देवी सहित कुलपति मेवालाल चैधरी एवं कृषि उत्पादन आयुक्त विजय प्रकाश की मौजूदगी में आयोजित समारोह के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया था। मौंके पर सूबे के मुखिया ने आवासीय कृषि महाविद्यालय में पठन पाठन के लिए सीटों की संख्या 25 से बढ़ाकर 60 करने की घोषणा की थी। वर्ष 2016 से कुल 60 सीट के लिए नामांकन शुरू हो गया।

इस महाविद्यालय में सूबे के विभिन्न जिला के करीब 240 छात्र छात्राएं अध्ययनशील है।करीब चौबीस एकड़ वाले भू भाग वाले क्षेत्र में आधुनिक कलाकृति से निर्मित आवासीय कृषि महाविद्यालय में प्रशासकीय भवन, पठन पाठन के लिए वर्ग कक्ष, प्रयोगशाला, छात्र ब्वायज हास्टल, शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मियों के लिए चार मंजिला भवन, प्राचार्य का भव्य आवास, सभा कक्ष के आलावे कंफ्रेंस हाॅल बहुद्येशीय भवन एवं कैंटिन हाल की सुविधा उपलब्ध है। साथ ही करीब तीन सौ टन क्षमता वाले दो बीज भंडार भी मौजूद है। पर दुःखद बिडंबना है कि इस महाविद्यालय में पढ़ने वाली छात्राआंें के लिए छात्रावास भवन का निर्माण कार्य कई साल से अधूरा पड़ा हुआ हुआ है।

छात्रावास का निर्माण कार्य अधूरा रहने से शिक्षको का आवासीय भवन फिलहाल छात्राआंें के हास्टल के रूप में तब्दील है। वहीं प्रेक्षागृह का निर्माण कार्य अधूरा पड़ा हुआ में है। प्रेक्षागृह पक्षियों का बसेरा केन्द्र बना हुआ है। महाविद्यालय में कुलपति डा.डी.आर. सिंह का कथन- बिहार कृषि विश्वविद्यालय के तेज तर्रार कुलपति डा डी आर सिंह ने कहा कि डुमरांव के कृषि कालेज में व्याप्त कमियों को जल्द दूर किया जाएगा. जिम को जल्द चालू करवा दिया जाएगा. सभी कालेज के छात्र छात्राओं के खेल कूद के लिए क्रीड़ा स्थल का निर्माण कराया जाएगा. एंबुलेंस की व्यवस्था की जाएगी. कुल पति डा सिंह ने कहा कि अन्नदाता किसान को उर्जावान बनाने एवं कृषि शिक्षा के प्रसार व अनुसंधान कार्य को नए आयाम देने को संकल्पित हैं.