दुनिया की सबसे बड़ी खुली जेल में गाजा को कर दिया गया है तब्दील : दीपंकर भट्टाचार्य

पटना
  • चीन तो बहाना है-पत्रकार निशाना है, मोदी शासन में चाटुकारिता ही पत्रकारिता है
  • गाजा में जारी इजरायली जनसंहार और मीडिया पर हमले के खिलाफ नागरिक प्रतिवाद
  • भाकपा-माले, सीपीआई और सीपीआई (एम) के आह्वान पर हुआ नागरिक प्रतिवाद

स्टेट डेस्क/पटना : गाजा में इजरायल द्वारा बच्चों-महिलाओं और बेगुनाहों के बर्बर जनसंहार और भारत में मीडिया/पत्रकारों पर मोदी सरकार द्वारा किए जा रहे हमले के खिलाफ आज पटना में भाकपा-माले, सीपीआई और सीपीआई (एम) के संयुक्त बैनर से बुद्ध स्मृति पार्क पर नागरिक प्रतिवाद सभा का आयोजन हुआ.

गाजा में इजरायली जनसंहार पर रोक लगाओ, फिलिस्तीनियों के होमलैंड के अधिकार के साथ खड़े हो, भारत में इस नाम पर मुसलमानों के खिलाफ नफरत फैलाना बंद करो, इजरायली जनसंहार पर मोदी सरकार चुप क्यों, प्रेस/मीडिया की आवाज दबाना बंद करो आदि तख्तियों के साथ सैकड़ो लोग नागरिक प्रतिवाद में शामिल हुए.

कार्यक्रम को मुख्य रूप से भाकपा-माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य, सीपीआई (एम) के राज्य सचिव मंडल के सदस्य अरूण मिश्र, सर्वोदय शर्मा, सीपीआई के गजनफर नबाव, ऐपवा की मीना तिवारी, शशि यादव, सामाजिक कार्यकर्ता अफजल हुसैन आदि ने संबोधित किया. तीन सदस्यों की टीम ने कार्यक्रम का संचालन किया, जिसमें भाकपा-माले के पटना महानगर सचिव अभ्युदय, सीपीआई के जिला सचिव विश्वजीत कुमार तथा सीपीआई (एम) के जिला सचिव मनोज चंद्रवंशी शामिल थे.

माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि आज गाजा को दुनिया की सबसे बड़ी खुली जेल में तब्दील कर दिया गया है. बच्चे-बुजुर्ग-महिलाओं पर लगातार बम गिराए जा रहे हैं. न गाजा में पानी है न बिजली है न दवाई. इस तरह की नाकेबंदी का मतलब है – एक बहुत बड़ा जनसंहार. जो होलोकास्ट यहूदियों और अन्य लोगों को हिटलर के समय झेलना पड़ा था, आज वही हाल फिलिस्तीन का है. इजरायल फिलिस्तीन को मिटा देने चाहता है.

हमारे देश के प्रधानमंत्री मणिपुर पर एक शब्द नहीं बोलते, लेकिन इजरायल पर तुरत ट्वीट करते हैं. लेकिन आज जब पूरी दुनिया में फिलिस्तीन को बचाने की आवाज उठी है, यूनाइटेड नेशन ने इसे जबरदस्त मानवीय संकट कहा है, तब मोदी सरकार ने फिलिस्तीन की ओर से पीठ फेर ली है. भाजपा के लोग प्रचार करते हैं कि मोदी जी ने यूक्रेन का युद्ध बंद करा दिया. इजरायल से दोस्ती का दावा करते हैं. जो भी दोस्ती है, उस प्रभाव का इस्तेमाल करके वे फिलिस्तीन में शांति स्थापित करने का प्रयास क्यों नहीं करते? उन्होंने यह भी कहा कि भारत में पत्रकारों पर हमला किया जा रहा है. यह सरकार चाटुकारिता को पत्रकारिता बताती है. चीन तो बहाना है, पत्रकार निशाना है.

सीपीआई (एम) के राज्य सचिव मंडल सदस्य अरूण मिश्रा ने गाजा पर इजरायली हमले की कड़ी निंदा की और कहा कि भाजपा, भारत में आतंकी हमलों और हमास के वर्तमान हमलों के बीच फर्जी समानता प्रदर्शित करने की कोशिश कर रही है. मोदी सरकार और भाजपा इस स्थिति का उपयोग भारत में मुस्लिम समुदाय के विरुद्ध घृणा भड़काने के लिए करना चाहते हैं. प्रेस की आजादी पर लगातार हमला हो रहा है.

सीपीआई के गजनफर नबाव ने कहा कि इजराइल के विरुद्ध सैन्य हमले की निंदा का पतन गाज़ा में उत्पीड़ित फिलिस्तीनी लोगों के विरुद्ध इजराइल के जनसंहारक युद्ध का समर्थन करने और उसके सहअपराधी बन जाने के रूप में नहीं होना चाहिए. भारतीय विदेशी नीति को तत्काल युद्धविराम व शांति स्थापित करने के लिए काम करना चाहिए और फिलिस्तीनियों के संप्रभु होमलैण्ड के अधिकार को मान्यता देते हुए राजनीतिक समाधान को संभव बनाने की दिशा में काम करना चाहिए.

उपर्युक्त नेताओं के अलावा प्रतिवाद सभा को कमलेश शर्मा, कुमार दिव्यम, आसमा खान, सीपीआई के सुनील कुमार, देवरतन प्रसाद, सुशील उमाराज; सीपीआई (एम) के विक्रम सिंह आदि ने संबोधित किया. मौके पर भाकपा-माले के राज्य सचिव कुणाल, सीपीआई (एम) के राज्य सचिव ललन चौधरी, सीपीआई के गुलाम सरवर सहित कई लोग उपस्थित थे.