पटना/शिवानंद गिरि : बिहार के युवाओं में प्रतिभा की कमी नहीं है। जरूरत केवल इन प्रतिभाओं को तराशने की है। ऐसा ही एक युवा ने कर दिखाया है जो बिजली उत्पादन में क्रांति ला सकता है। दरअसल,बिहार के जमुई जिले के रहने वाले दसवीं कक्षा के छात्र रोहित ने ऐसी तकनीक विकसित की है जिससे दुनिया में सबसे सस्ती बिजली उत्पादन संभव है। सीआईएमपी के इंक्यूबेशन फाउंडेशन से इंक्यूबेटेड इस स्टार्ट-अप का नाम हाइड्रो लिफ्टिंग टेक्नोलॉजी है।
काफी मेहनत के बाद रोहित ने अपने 7 साल के शोध के बाद यह उपलब्धि हासिल की है। हाइड्रो लिफ्टिंग तकनीक को आईपीआर केंद्र कोलकाता प्रोविजनल पेटेंट मिल गया है। इस तकनीक की खासियत यह है कि बिजली उत्पादन के लिए किसी भी डैम में एक ही बार पानी भरने की जरूरत है।
इसके बाद बहुत कम ऊर्जा खर्च कर निचले डैम से ऊपर वाले डैम में पानी आसानी से पहुंचाया जा सकता है। एक ही पानी दोनों डैम में लंबे समय तक रोटेट होते रहेगा। निचले डैम से ऊपर वाले डैम में पानी ले जाने के क्रम में उत्पादित बिजली का मात्र 15 प्रतिशत ही खर्च होगा। शेष 85 प्रतिशत बिजली का उपयोग अन्य कामों के लिए किया जा सकता है।
अबतक निचले डैम से ऊपर वाले डैम में पानी ले जाना काफी महंगा था। इस वजह से बिजली उत्पादन की वैश्विक परंपरा में इसे शामिल नहीं किया जा सका था।
एक मेगावाट तक बिजली का उत्पादन में 11 करोड़ की लागत
रोहित का कहना है कि अब तक दुनिया की इससे सस्ती हाइड्रोलिफ्टिंग तकनीक विकसित नहीं की जा सकी है। इस स्टार्ट-अप को प्रोविजनल पेटेंट भी मिल चुका है और स्थायी पेटेंट के लिए आवेदन भेजा है। इस तकनीक से तीन एकड़ क्षेत्र में 11 करोड़ की लागत से एक मेगावाट तक बिजली का उत्पादन हो सकता है। इससे सालों भर बिजली उत्पादन संभव है।