पटना, अशोक “अश्क” भारत ने भविष्य की अत्याधुनिक परिवहन तकनीकों की दिशा में एक और बड़ा कदम बढ़ाया है। बुलेट ट्रेन के बाद अब देश में हाइपरलूप ट्रांसपोर्ट सिस्टम को विकसित करने पर काम तेज हो गया है। इसी कड़ी में देश का पहला हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक तैयार कर लिया गया है, जिससे महज 30 मिनट में 350 किलोमीटर का सफर तय किया जा सकेगा।

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस बड़ी उपलब्धि की जानकारी देते हुए सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट साझा की। उन्होंने बताया कि IIT मद्रास की मदद से 422 मीटर लंबा हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक विकसित किया गया है। रेल मंत्री ने इस उपलब्धि पर टीम को बधाई देते हुए कहा कि यह भविष्य के यातायात को और सुगम बनाएगा।
हाइपरलूप एक अत्याधुनिक परिवहन प्रणाली है, जिसमें ट्रेन को वैक्यूम ट्यूब के अंदर हाई स्पीड कैप्सूल के रूप में चलाया जाता है। यह तकनीक पारंपरिक ट्रेनों की तुलना में कहीं अधिक तेज और कुशल है। यदि भारत में यह प्रणाली सफल होती है, तो पब्लिक ट्रांसपोर्ट का पूरा ढांचा ही बदल सकता है।
आईआईटी मद्रास के डिस्कवरी कैंपस में इस टेस्ट ट्रैक को भारतीय रेलवे, आईआईटी मद्रास की अविष्कार हाइपरलूप टीम और TuTr हाइपरलूप स्टार्टअप के सहयोग से तैयार किया गया है। शुरुआत में इस ट्रैक पर 100 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से परीक्षण किया गया था। आगामी परीक्षणों में इसे 600 किलोमीटर प्रति घंटा तक बढ़ाया जाएगा।
अमेरिका में 9 नवंबर 2020 को लास वेगास में 500 मीटर लंबा हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक बनाया गया था, जहां इसकी गति 161 किलोमीटर प्रति घंटा थी। यूरोप में अब तक का सबसे लंबा हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक खोला जा चुका है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि 2050 तक यूरोप में 10,000 किलोमीटर लंबा हाइपरलूप नेटवर्क तैयार हो जाएगा।
अगर भारत में हाइपरलूप ट्रेन को सफलतापूर्वक लागू किया जाता है, तो यह देश के यातायात में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है। इससे यात्रा का समय घटेगा, ऊर्जा की बचत होगी और यातायात का एक तेज, कुशल और पर्यावरण के अनुकूल विकल्प मिलेगा।
भारत में हाइपरलूप के विकास से देश को वैश्विक स्तर पर आधुनिक परिवहन प्रणाली में अग्रणी बनाने की उम्मीद की जा रही है। अगले कुछ वर्षों में इस तकनीक पर और परीक्षण किए जाएंगे, जिससे यह तय किया जा सके कि इसे व्यावसायिक रूप से कब लागू किया जा सकता है।