विकास वैभव ने लगाई तबादले की गुहार, होम सेक्रेटरी को लिखी चिट्ठी में कहा-प्रताड़ित करने को होमगार्ड में की गयी पोस्टिंग!
State Desk, Patna: अपनी बॉस डीजी , होमगार्ड एंड फायर सर्विसेज) शोभा ओहटकर पर गाली-गलौज का आरोप लगाने वाले आइपीएस अफसर विकास वैभव अब सीधे सरकार पर आरोप लगाकर नये विवाद में फंसते दिख रहे हैं। होमगार्ड एंड फायर सर्विसेज में आइजी के पद पर पिछले अक्टूबर महीने में तैनात किये गये वैभव ने गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव को लिखी चिट्ठी में कहा है कि इस विभाग में उनकी पोस्टिंग प्रताड़ित करने के लिए की गयी है। उनका तबादला अन्यत्र किसी दूसरे पद पर कर दिया जाये। अपने तबादले के लिए गृह विभाग को लिखी चिट्ठी से लग रहा है कि अब वह बॉस की छाया से मुक्ति चाह रहे हैं। लेकिन जानकारों का कहना है कि वैभव को इतनी जल्दी मुक्ति नहीं मिलने वाली है। उनको अभी शोभा का ताप झेलना पड़ेगा!
अपने सांप्रदायिक रूझानों के चलते चर्चा में रहने वाले विकास वैभव ने 8-9 फरवरी की दरमियानी रात ट्वीट कर शोभा ओहटकर पर गाली गलौज का आरोप लगाया था। लेकिन बाद में उन्होंने अपना ट्वीट डिलीट कर दिया था। इस ट्वीट को लेकर होमगार्ड एंड फायर सर्विसेज की डीजी शोभा ओहटकर ने विकास को 9 फरवरी को कारण बताओ नोटिस जारी किया था. उनकी लंबी छुट्टी की अर्जी पर भी ऐतराज जताते हुए गृह विभाग से उनकी अर्जी रद्द करने की सिफारिश की थी। उनसे 24घंटे में जवाब मांगा था। लेकिन वैभव उसी दिन एक शादी समारोह में शामिल होने सिलीगुड़ी निकल गये थे। रात में उन्होंने उस समारोह की एक तस्वीर फेसबुक और ट्विटर पर शेयर किया था जिसमें वह बिहार के वित्त मंत्री विजय चौधरी के साथ बैठे दिख रहे थे।
वैभव के ट्वीट पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी उनको नसीहत दी थी। कहा था, ट्वीट करना अधिकारियों का काम नहीं है। अगर कोई समस्या है तो उन्हें अपने सीनियर से बात करनी चाहिए। मुख्यमंत्री हैरानी जताते हुए कहा था कि कोई विवाद अगर है तो उसे अपने वरिष्ठ को बताना चाहिए, न कि इसे सार्वजनिक करना चाहिए.
विकास वैभव के समर्थन में शुक्रवार को कुछ युवकों- युवतियों ने कारगिल चौक पर प्रदर्शन और नारेबाजी की थी. उनके हाथों में बैनर था जिस पर लिखा था, ‘बिहारी अस्मिता का अपमान नहीं सहेगा बिहार! हम बिहारी कामचोर नहीं डीजी मैडम शर्म करो!’
जानकारों का मानना है विकास वैभव पर निलंबन की तलवार लटक रही है. उनके कथित समर्थकों का सड़कों पर प्रदर्शन और नारेबाजी उनके हित में जाता नहीं दिख रहा है। दंगाई और सांप्रदायिक विद्वेष की प्रवृत्ति वाले राजीव ब्रह्मर्षि से सम्मान लेने और मनीष कश्यप को सम्मानित करने का मामला अभी सरकार के विचाराधीन है। यह मामला पिछले साल विधानसभा में माले के विधायक अजीत कुशवाहा ने उठाया था। यह मामला फ़िर सतह पर आ गया है।