आगजनी व गोलीबारी के जरिए दहशत का माहौल बनाने की कोशिश
माले व आदिवासी संघर्ष मोर्चा ने किया घटनास्थल का दौरा
जमीन जोतने के दौरान वैद्यनाथ उरांव की कर दी गई थी हत्या
आदिवासी संघर्ष मोर्चा द्वारा 9 दिसंबर को होगा प्रतिवाद
स्टेट डेस्क/पटना: कटिहार जिले के मनसाही थानातंर्गत पिंडा गांव में विगत 30 नवंबर को जमीन जोतने के दौरान महेन्द्र उरांव व रघुनाथ उरांव पर गोविंद सिंह और उनके साथ आए दबंग-अपराधियों ने जानलेवा हमला किया था. गोलीबारी के क्रम में वैद्यनाथ उरांव के पेट में गोली लगी और घटनास्थल पर ही उनकी मृत्यु हो गई. जबकि जबना उरांव को जांघ व हाथ में गोली लगी.
वे फिलहाल भागलपुर में इलाजरत हैं. एक महिला भी घायल है. दो ट्रैक्टर को आग के हवाले करके पूरे इलाके में दहशत का माहौल बनाने की कोशिश की गई. स्थानीय थाना चार घंटे तक इस भयावह घटना को बस देखते रहा. जिस वक्त घटना को अंजाम दिया जा रहा था माले विधायक दल के नेता महबूब आलम ने सूचना मिलने पर कटिहार एसपी से बात की.
उनके बात करने से इतना भर हुआ कि एक नामजद अभियुक्त सहित तीन अन्य लोगों की गिरफ्तारी की औपचारिकता पूरी की गई है. मुख्य अभियुक्त अभी भी खुलेआम आदिवासियों को धमकी देते हुए घुम रहा है.
इस भयावह घटना की जांच में विगत 4 दिसंबर को नेता विधायक दल महबूब आलम, विधायक व आदिवासी संघर्ष मोर्चा के राज्य संयोजक वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता और खेग्रामस के राज्य अध्यक्ष व पूर्व विधायक मनोज मंजिल ने पिंडा गांव का दौरा करके पूरे मामले का जायजा लिया.
प्रतिनिधि दल ने बताया कि भूपति जहरूल हक की 3 एकड़ बीस डिसमिल जमीन पर पुश्तैनी तौर पर चौधरी उरांव का सिकमी बटाईदारी चला आ रहा है. अब महेन्द्र उरांव व रघुनाथ उरांव उस जमीन को जोतते हैं. जहरूल हक के वंशज भी उन्हें सिकमी बटाईदार मानते हैं.
लेकिन, स्थानीय भाजपा एमएलसी संरक्षित, बजरंग दल के कार्यकर्ता और दबंग-अपराधी स्वभाव के गोविन्द सिंह ने पश्चिम बंगाल से उक्त जमीन पर रजिस्ट्री का दावा कर दिया. 48 ई के तहत मुकदमा भी चला. डीसीएलआर ने इसी साल 5 जनवरी को महेन्द्र उरांव व रघुनाथ उरांव को सिकमी बटाईदार की मान्यता प्रदान की थी. चूंकि गोंविद सिंह द्वारा जहरूल हक से रजिस्ट्री का दावा 1983 का किया हुआ है जबकि जहरूल हक की मौत 1979 में ही हो गई थी. इस आधार पर उसकी रजिस्ट्री फर्जी करार दे दिया गया.
इससे बौखलाए गोविंद सिंह ने अन्य अपराधियों के साथ मिलकर 30 नवंबर की घटना को अंजाम दिया. इस मामले में मनसाही थाना कांड में एफआईआर (124/24) दर्ज किया गया है लेकिन पुलिस की मिलीभगत से गोविंन्द सिंह ने भी महेन्द्र उरांव व अन्य आदिवासियों पर उलटा मुकदमा दर्ज कर दिया है.
भाकपा-माले जांच दल ने कहा है कि भाजपा-जदयू सरकार सिकमी बटाईदारों के अधिकारों को सुरक्षित रख पाने में पूरी तरह असफल साबित हुई है. अव्वल तो यह कि इन्हीं पार्टियों के नेताओं के संरक्षण में सिकमी बटाईदारों की बेदखली की साजिश रची जा रही है. यह बिहार को स्वीकार नहीं है.
भाकपा-माले व आदिवासी संघर्ष मोर्चा ने मांग की है कि
- वैद्यानाथ उरांव के परिजनों को 20 लाख, जले ट्रैक्टर के एवज में 10-10 लाख रु. का मुआवजा मिले. घायलों का सरकारी स्तर पर इलाज हो.
- मजिस्ट्रेट और पुलिस बल के संरक्षण में महेन्द्र उरांव और रघुनाथ उरांव को जमीन पर अधिकार मिले.
- मनसाही थाना की संदिग्ध भूमिका देखते हुए दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई हो.
इस हमले के खिलाफ आगामी 9 दिसंबर को पूर्णिया, कटिहार, जमुई और चंपारण जिलों में प्रतिवाद कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे.