पटना, अशोक “अश्क” बिहार को औद्योगिक राज्य के रूप में विकसित करने के उद्देश्य से राज्य सरकार आगामी वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट में कई नई योजनाएं लाने जा रही है। इस दिशा में सरकार ने न केवल औद्योगिक विकास पर जोर दिया है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक समावेश को प्राथमिकता देने का भी लक्ष्य रखा है। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने घोषणा की है कि राज्य में नए औद्योगिक टाउनशिप विकसित करने के लिए लगभग 10,000 एकड़ भूमि अधिग्रहण करने की योजना बनाई गई है।

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उपमुख्यमंत्री ने कहा कि नीतीश सरकार का लक्ष्य एक ऐसा बजट बनाना है, जो राज्य के विकास को तेज गति प्रदान करे। यह बजट वंचित और उपेक्षित वर्गों को हर संभव सहायता प्रदान करने पर केंद्रित होगा। औद्योगिक विकास को इसमें मुख्य भूमिका निभाने वाला क्षेत्र माना जा रहा है।
इस पहल का उद्देश्य रोजगार के अवसर पैदा करना और राज्य की आर्थिक स्थिति को सशक्त बनाना है। यह पहल चौथे कृषि रोडमैप के अनुरूप है, जिसमें ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने पर जोर दिया गया है। उपमुख्यमंत्री ने बताया कि कृषि फीडरों की स्थापना की जा रही है, ताकि बिजली की आपूर्ति खेतों तक सुचारू रूप से पहुंच सके।
इससे न केवल कृषि क्षेत्र को लाभ होगा, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में औद्योगिक विकास का मार्ग भी प्रशस्त होगा। बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ने औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए तीन से चार नए औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने का प्रस्ताव दिया है। इसके लिए पूर्णिया, कैमूर, ठाकुरगंज, सोनपुर, बेगूसराय और हाजीपुर जैसे स्थलों की सिफारिश की गई है।
बीआईए ने उपयुक्त बुनियादी ढांचे के साथ इन स्थानों पर औद्योगिक टाउनशिप स्थापित करने की मांग की है। बीआईए ने यह भी सुझाव दिया कि औद्योगिक विकास के लिए बजटीय सहायता बढ़ाई जाए और मौजूदा औद्योगिक इकाइयों में नए निवेश के लिए संसाधन उपलब्ध कराए जाएं।
बीमार औद्योगिक इकाइयों के पुनर्वास के लिए एक व्यावहारिक कार्यक्रम की आवश्यकता को भी रेखांकित किया गया। औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए बीआईए ने कई नीतिगत बदलावों का सुझाव दिया है। उन्होंने उद्योगों के लिए भूमि के अलग-अलग वर्गीकरण और औद्योगिक भूमि के लिए विशेष दरें तय करने की मांग की।
इसके अलावा, उन्होंने अगले 5-7 वर्षों में बैंकों के ऋण-जमा अनुपात में सुधार का प्रस्ताव रखा। बीआईए ने फार्मास्युटिकल क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने के लिए एकीकृत नीति तैयार करने की भी मांग की। इसके तहत पीएनजी के लिए एकीकृत राज्य दर लागू करने की सिफारिश की गई। सरकार की इन पहलों का उद्देश्य औद्योगिक विकास को सामाजिक कल्याण योजनाओं के साथ जोड़कर समावेशी विकास सुनिश्चित करना है।
इस व्यापक दृष्टिकोण के माध्यम से सरकार एक ऐसा आर्थिक वातावरण बनाना चाहती है, जो प्रगति के लिए अनुकूल हो और राज्य को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाए। उद्योग मंत्री नीतिश मिश्रा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री सुमित कुमार और वित्त विभाग के प्रधान सचिव आनंद किशोर ने इन योजनाओं पर चर्चा करने के लिए एक उच्चस्तरीय बैठक में भाग लिया।
इस बैठक में बिहार के औद्योगिक परिदृश्य को उन्नत बनाने के लिए कई सुझाव दिए गए। बीआईए ने यह भी सुझाव दिया कि अगले एक दशक के भीतर बिहार की प्रति व्यक्ति आय को राष्ट्रीय औसत के बराबर लाने की दिशा में ठोस प्रयास किए जाएं। औद्योगिक विकास और कृषि क्षेत्र में सुधार से यह लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।
सरकार का यह प्रयास न केवल औद्योगिक विकास को बढ़ावा देगा, बल्कि वंचित वर्गों को भी लाभान्वित करेगा। सामाजिक कल्याण और औद्योगिक प्रगति को एकीकृत करते हुए यह कदम बिहार को आर्थिक रूप से मजबूत और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा।