क्या नीतीश कुमार के मन में फिर से बज रहा है ‘बीजेपी का रेडियो’!

पटना

हेमंत कुमार/पटना : क्या नीतीश कुमार के मन में फिर से ‘बीजेपी का रेडियो’ बज रहा है! पिछले दस दिनों के भीतर के पांच दृष्टांतों पर नजर डालें तो लगता है, बीजेपी और नीतीश फिर से एकदूसरे के प्रति नरम पड़ रहे हैं! अभी-अभी शनिवार,4 मार्च को नीतीश कुमार पूर्व उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद के पिता के श्राद्ध में शामिल होने कटिहार में उनके घर पर गये थे। तारकिशोर आरएसएस के पुराने कार्यकर्ता रहे हैं। कटिहार से विधायक हैं। छह माह पहले जब नीतीश ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ा था , तब तारकिशोर शिष्टाचार की सीमाएं तोड़कर नीतीश को कोसते दिखे थे! तारकिशोर के घर नीतीश का जाना चर्चा में है!

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तमिलनाडु में बिहारी मजदूरों पर कथित हिंसा और हमले की घटनाओं पर जब बीजेपी सरकार पर हमलावर थी,तब तेजस्वी यादव ने तमिलनाडु सरकार से प्राप्त फीडबैक के आधार पर साफ-साफ कहा था कि बिहारियों पर हमले या हिंसा की खबरें झूठी हैं। जिस दिन तेजस्वी विधानसभा में यह बात कह रहे थे,उससे ठीक एक दिन पहले वह तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की जन्मदिन की पार्टी में चेन्नई गये थे। लेकिन नीतीश कुमार ने बिहारियों पर कथित हमले के मामले में तेजस्वी से अलग लाइन‌ ले ली। उन्होंने कहा, तमिलनाडु में बिहारियों पर‌ हमले की खबरें समाचार माध्यमों से मिली हैं। मैंने मुख्य सचिव और डीजीपी से बात की है। अफसरों की एक टीम वहां भेजने को कहा है। गौरतलब है कि बिहार के अफसरों की टीम वहां तब गयी जब तमिलनाडु के डीजीपी ने प्रमाण सहित बिहारियों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं का खंडन कर दिया था।

नीतीश कुमार को उनके जन्मदिन पर 1 मार्च को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने फोन पर बधाई दी। राजनाथ ने नीतीश से तमिलनाडु के मामले पर भी बात की। उसी दिन नीतीश ने विधानसभा में इस बात की चर्चा की कि राजनाथ जी का फोन आया था। माना जा रहा है कि नीतीश ने जानबूझ सदन के भीतर राजनाथ से हुई बातचीत का जिक्र किया। मकसद था सदन में मौजूद बीजेपी और राजद के नेताओं को एक साथ चौंकाना! नीतीश प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भी ट्विटर पर बंधाई दी थी।

वैशाली जिले के जंदाहा में गलवान के शहीद के पिता की कथित पिटाई और गिरफ्तारी के मामले पर भी नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव से अलग लाइन ली। तेजस्वी ने स्थानीय प्रशासन और पुलिस की कार्रवाई को जायज ठहराया और कहा था कि शहीद के घरवाले एक परिवार का रास्ता घेरकर सरकारी जमीन पर मूर्ति स्थापित कर रहे थे। जिस परिवार का रास्ता बंद हो‌ रहा था ,उससे शहीद के परिजनों का पहले से विवाद चल‌ रहा है। लेकिन नीतीश कुमार ने इस मामले में तुरंत जांच गठित करने और यह देखने को कहा कि शहीद के पिता के साथ अपमानजनक व्यवहार क्यों हुआ। इस मामले में भी बीजेपी सरकार पर हमलावर थी। नीतीश की लाइन से लगा कि उनको बीजेपी के आरोपों में दम दिख रहा है। उन्होंने अपने उपमुख्यमंत्री की बातों को नजरंदाज कर दिया। नीतीश के रूख का असर यह हुआ कि शहीद के पिता को अगले ही दिन जमानत मिल गयी।

हाल में 25 फरवरी को पश्चिम चंपारण की एक सभा में नीतीश पर काफी हमलावर दिखने वाले गृहमंत्री अमित शाह की नीतीश से टेलीफोन पर हुई बातचीत का खुलासा खुद नीतीश ने किया था। बिहार में नये राज्यपाल की तैनाती को लेकर अमित शाह ने नीतीश को फोन किया था। नीतीश तब समाधान यात्रा पर निकले हुए थे। राज्यपाल की नियुक्ति को लेकर पत्रकारों के सवाल के जवाब में नीतीश ने कहा-हां, अमित शाह जी ने फ़ोन पर बातचीत की थी।उनकी बात से ऐसा लगा था कि गृहमंत्री ने नीतीश की सहमति से नया राज्यपाल भेजा है। हालांकि जेडीयू के प्रवक्ता रणवीर नंदन ने इसे ‘शिष्टाचार वार्ता’ बताते हुए कहा था, नीतीश जिसके साथ रहते हैं पूरी ईमानदारी से रहते हैं!