संविधान-आजादी-न्याय सुरक्षा सप्ताह के तहत दलित-वंचित महिलाओं के लिए न्याय मार्च

पटना

कोमल, काजल और स्नेहा को न्याय दो के नारे के साथ पूरे राज्य में निकला न्याय मार्च

स्टेट डेस्क/पटना: ऐपवा और भाकपा-माले के संयुक्त आह्वान पर दलित-वंचित महिलाओं के लिए न्याय मार्च आयोजित किया गया। यह आयोजन डॉ. भीमराव अंबेडकर जयंती के अवसर पर चल रहे “संविधान-आजादी-न्याय सुरक्षा सप्ताह” के अंतर्गत हुआ।

पटना सहित औरंगाबाद, बिहारशरीफ, अरवल, मुजफ्फरपुर, बेगूसराय, समस्तीपुर, भागलपुर, दरभंगा, नवादा, गया, आरा, सिवान, बेतिया, मधुबनी आदि जिलों में हजारों महिलाओं और युवाओं ने न्याय की मांग को लेकर सड़कों पर उतरकर जोरदार प्रदर्शन किया।

पटना में आयोजित मुख्य मार्च जीपीओ गोलंबर से निकला, जिसमें बड़ी संख्या में छात्राएं, महिलाएं, राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ता और जनप्रतिनिधि शामिल हुए। मार्च के बाद आयोजित जनसभा को विधान पार्षद शशि यादव, नेता विधायक दल महबूब आलम, शंभूनाथ मेहता, माधुरी गुप्ता, और प्रीति कुमारी ने संबोधित किया।

सभा में के.डी. यादव, सरोज चौबे, जितेंद्र कुमार, उमेश सिंह, रामबली प्रसाद, कमलेश शर्मा, अनय मेहता, मुर्तजा अली, संजय यादव, अनुराधा सिंह, राखी मेहता, विनय कुमार, पुनीत पाठक, डॉ. प्रकाश सिंह, गौतम घोष, प्रमोद यादव, मनीषा कुमारी सहित अनेक कार्यकर्ता और नागरिक उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन अनीता सिन्हा ने किया।

वक्ताओं ने कहा कि आज का मार्च केवल न्याय की मांग नहीं, बल्कि सत्ता की संवेदनहीनता के खिलाफ जनघोषणा है। उन्होंने उदाहरण स्वरूप कई ताज़ा घटनाओं को रेखांकित किया।

वक्ताओं ने कहा कि हाल के दिनों में तथाकथित डबल इंजन सरकार में स्नेहा कुशवाहा की बनारस में नृशंस हत्या, औरंगाबाद में 12 वर्षीया बच्ची कोमल पासवान की नृशंस हत्या ( होली के दिन लोजपा नेता के परिवार द्वारा वाहन से कुचलकर) , पूर्णिया में धानुक समाज से आने वाली घास काटते समय काजल मंडल के साथ बलात्कार और फिर हत्या, पूर्णिया में ही एक 8 वर्षीया बच्ची के साथ दुष्कर्म, औरंगाबाद के नवीनगर में दो नाबालिग बहनों के साथ बलात्कार की कोशिश और बर्बर हमला, बेगूसराय में एसिड अटैक की दर्दनाक घटना आदि ने समाज को झकझोर दिया है।

इन सब घटनाओं से यह स्पष्ट है कि भाजपा-जदयू की डबल इंजन सरकार में दलित, महादलित, अतिपिछड़ा समुदाय की महिलाओं और बच्चियों के खिलाफ हिंसा का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। सामंती ताकतों का मनोबल बढ़ा है और वे सत्ता के संरक्षण में खुलेआम अपराध कर रहे हैं।

वक्ताओं ने कहा कि इस महिला और दलित – अत्यंत पिछड़ा विरोधी सरकार को आने वाले चुनाव में बिहार की जनता सबक सिखाएगी और सत्ता से उखाड़ फेंकेगी। बिहार को पीछे धकेलने की हर कोशिश का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। यह मार्च सिर्फ न्याय की मांग नहीं है, यह संविधान, आज़ादी और बराबरी की रक्षा के लिए आंदोलन को तेज करने का उद्घोष भी है।