कुढनी उपचुनाव परिणाम : जेडीयू उम्मीदवार से नाराजगी की खाई इतनी चौड़ी थी कि पाटते-पाटते भी दरार रह गयी!

पटना

हेमंत कुमार/पटना : कुढनी विधानसभा क्षेत्र में जेडीयू उम्मीदवार मनोज कुशवाहा को लेकर नाराजगी की खाई इतनी चौड़ी थी कि पाटते-पाटते भी दरार रह गयी! जेडीयू उम्मीदवार का ‘चुनावी रथ’ उसी दरार में फंस कर रह गया! वे जीतते – जीतते हार गये! विरोधियों को छोड़ दीजिए।उनके दल के लोग भी उनके व्यवहार और चाल-चलन की आलोचना करते मिल जा रहे हैं। वे तंज कस रहे हैं, हमारे उम्मीदवार ‘गुणों की खान’ हैं। चुनाव प्रचार के दौरान हमलोग माफी मांगते – मांगते और सफाई देते-देते थक गये। जो मिलता था, वही शिकायत लेकर बैठ जा रहा था।’ मनोज कुशवाहा से लोगों की नाराजगी का आलम यह था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी चुनाव सभाओं में लगातार जनता से माफी मांगते नजर आ रहे थे।

कुढनी का नतीजा आने के बाद जेडीयू के सीनियर लीडर और संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने ट्वीट किया, ‘ कुढ़नी के परिणाम से हमें बहुत कुछ सीखने की ज़रूरत है। पहली सीख- “जनता हमारे हिसाब से नहीं बल्कि हमें जनता के हिसाब से चलना पड़ेगा।” उपेंद्र कुशवाहा की यह प्रतिक्रिया इशारों-इशारों में बता दे रही है कि उम्मीदवर चयन में शीर्ष नेतृत्व से भारी भूल हुई है। कुशवाहा ने अपने ट्वीटर हैंडल पर लिखा है…

क्या हार में, क्या जीत में
किंचित नहीं भयभीत मैं ।

कर्तव्य पथ पर जो मिला
यह भी सही वो भी सही ।।

कुढ़नी के परिणाम से हमें बहुत कुछ सीखने की ज़रूरत है। पहली सीख- “जनता हमारे हिसाब से नहीं बल्कि हमें जनता के हिसाब से चलना पड़ेगा।”

कुढनी के 4 हजार से अधिक वोटरों ने NOTA पर बटन दबाया! माना जा रहा है कि NOTA का बटन दबाने वाले अधिकतर वोटर महागठबंधन समर्थक हैं । लेकिन उन्होंने महागठबंधन के उम्मीदवार को वोट नहीं दिया!

कुढनी उपचुनाव का एक सबक यह भी है कि महागठबंधन भाजपा विरोधी वोटों का बिखराव रोकने के लिए गंभीरतापूर्वक काम नहीं कर रहा है। महागठबंधन के पार्टनर भाकपा-माले के राज्य सचिव कुणाल ने कुढ़नी उपचुनाव परिणाम को अप्रत्याशित बताया है। उन्होंने कहा कि महागठबंधन को खुशफहमी से बचना चाहिए। भाजपा गहरी साजिश रचने वाली पार्टी है, इसलिए उसे किसी भी सूरत में हलके में नहीं लेना चाहिए.

उपचुनाव का परिणाम दिखलाता है कि अब भी भाजपा विरोधी वोटों में बिखराव है. विकासशील इंसान पार्टी, एमआईएम और अन्य कुछ स्वतंत्र उम्मीदवारों को तकरीबन 26 हजार वोट मिले हैं, जो जदयू उम्मीदवार के हार का बड़ा कारण बना. गोपालगंज में भी हार का यह एक कारक था. भाजपा विरोधी राजनीतिक व सामाजिक आधार के बिखराब को रोकने के लिए गंभीर कोशिश चलाने की जरूरत है.

कुढनी के चुनाव नतीजे पर माले नेता की प्रतिक्रिया में दम है, इससे इंकार नहीं किया जा सकता है। वीआइपी और एआइएमआइएम उम्मीदवारों को 12 हजार से अधिक वोट मिले है जबकि जेडीयू उम्मीदवार मनोज कुशवाहा 3649 वोट से चुनाव हार गये। वीआइपी के नीलाभ कुमार को 9988 जबकि एआइएमआइएम के मुर्तुजा अंसारी को 3202 वोट मिले हैं। राजद छोड़कर निर्दलीय मैदान में उतरे शेखर सहनी के खाते में 3716 वोट गया है। एक अन्य उम्मीदवार संजय कुमार भी 4 हजार से अधिक वोट ले गये। कहने का आशय यह है कि महागठबंधन अपने वोट बिखरने से रोक नहीं सका जबकि बीजेपी के वोटर एकजुट रहे।