कुढ़नी उपचुनाव: राजद जीते या बीजेपी, नतीजा आने के बाद जेडीयू एमएलसी के खिलाफ होगी आइटी की रेड!

पटना

दिनेश सिंह को सुशील मोदी की चेतावनी से गरम है मुजफ्फरपुर का माहौल! कहा, याद रखे इनकम टैक्स ने जब्त किया था 25 लाख!

Hemant Kumar/Patna : कुढ़नी विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव का नतीजा जो भी हो, लेकिन एक बात तय है कि नतीजा आने के बाद जेडीयू एमएलसी दिनेश सिंह के खिलाफ इनकम टैक्स और ईडी की बड़ी कार्रवाई हो सकती है! मुजफ्फरपुर में इस बात की चर्चा जोरों पर है! इस चर्चा को बल मिल रहा है सुशील मोदी की उस चेतावनी से जो उन्होंने गुरुवार को मीडिया से बातचीत के क्रम में दिनेश सिंह को दी!

कुढ़नी उपचुनाव को लेकर मुजफ्फरपुर में लगातार कैंप कर रहे बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और बीजेपी के राज्यसभा सदस्य सुशील मोदी ने कहा, हम दिनेश सिंह को चेतावनी देना चाहते हैं! वे सावधान हो जायें। अपनी हरकतों से बाज आयें। पटना में एयरपोर्ट पर इनकम टैक्स डिपार्टमैंट ने उनसे 25 लाख रुपया जब्त किया था। उनके पास अफरात अवैध पैसा है। हमें पता चला है कि कुढ़नी में प्रचार की अंतिम रात में बीजेपी उम्मीदवार को हराने के लिए बड़े पैमाने पर करोड़ों रुपये बांटने की योजना है!

स्थानीय प्राधिकार क्षेत्र, मुजफ्फरपुर से बिहार विधान परिषद के सदस्य दिनेश सिंह पर सुशील मोदी के हमले से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि बीजेपी कुढ़नी उपचुनाव जीतने के लिए कितनी गंभीर और बेचैन है। मुजफ्फरपुर की सियासत और प्रशासन में अपनी मजबूत पकड़ के लिए चर्चित दिनेश सिंह भले ही जेडीयू के एमएलसी हैं। लेकिन उनके रिश्ते सभी सभी दलों के नेताओं से मधुर हैं। उनकी पत्नी वीणा देवी लोजपा से वैशाली की सांसद हैं। वीणा पहले बीजेपी के टिकट पर गायघाट से विधायक थीं। वीणा उसी क्षेत्र से पहली बार राजद के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ी थीं। दिनेश सिंह पहले खुद राजद की राजनीति करते थे। कहने का आशय यह है कि बीजेपी समेत सभी पार्टियों के चहेते दिनेश सिंह को चेतावनी देने की नौबत क्यों आ गयी है!

जानकार बताते हैं कि कुढनी उपचुनाव एक तरह से दिनेश सिंह की प्रतिष्ठा से जुड़ गया है। मनोज कुशवाहा को जेडीयू का टिकट दिलवाने में दिनेश सिंह का बड़ा रोल है। कुढ़नी की सीट राजद की थी। एलटीसी घोटाले में सजायाफ्ता उसके विधायक अनिल सहनी की सदस्यता जाने के बाद यह उपचुनाव हो रहा है। कायदे से इस सीट पर राजद का उम्मीदवार होना चाहिए था। लेकिन दिनेश सिंह ने मनोज कुशवाहा को टिकट देने के लिए नीतीश और तेजस्वी को एक साथ राजी कर लिया। मनोज उस क्षेत्र से 2005 और 2010 में विधायक रहे हैं। मंत्री भी बने थे। लेकिन 2015 का चुनाव हार गये थे। उन्हें दिनेश सिंह का खासम-खास माना जाता है। बकौल सुशील मोदी, सिंडिकेट चलाने वाले दिनेश सिंह ने शराब माफिया को उम्मीदवार बनाया है। बड़ा माफिया का सिंडिकेट छोटा माफिया के लिए काम कर रहा है। दिनेश सिंह को चेतावनी अकेले सुशील मोदी नहीं दे रहे हैं। केंद्रिय गृहराज्य मंत्री नित्यानंद राय और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष डा संजय जायसवाल भी उन्हें चेतावनी दे चुके हैं।

जानकार बताते हैं कि बीजेपी की चिंता भूमिहार वोटों को लेकर हैं। वीआइपी ने नीलाभ कुमार को उम्मीदवार बनाकर बीजेपी को बेचैन कर रखा है। अब सुशील मोदी आरोप लगा रहे हैं कि मुकेश सहनी ने दिनेश सिंह के इशारे पर मुकेश की पार्टी से भूमिहार उम्मीदवार दिया है ताकि बीजेपी के केदार गुप्ता हार जायें। पिछले चुनाव में गुप्ता मात्र 712 वोट से राजद उम्मीदवार अनिल सहनी से हारे थे। कुढनी में पांच दिसंबर को चुनाव है। बीजेपी भूमिहार वोटरों को एकजुट रखने को जबरदस्त मेहनत कर रही है। इस साल की शुरूआत में मुजफ्फरपुर की बोचहा (सुरक्षित) सीट पर मिली करारी शिकस्त के बाद बीजेपी ने पूर्व मंत्री और मुजफ्फरपुर शहर से विधायक रहे सुरेश शर्मा की नकेल कस दी है।

भूमिहार-ब्राह्मण फ्रंट से अलग रखने की कड़ी हिदायत मिलने के बाद शर्मा अब कुढनी में भूमिहारों के बीच घूम-घूम कर कह रहे हैं, कुढनी का चुनाव केदार गुप्ता नहीं हम लड़ रहे हैं। हमारी लाज रखिए! पूर्व केंद्रीय मंत्री डा सीपी ठाकुर के पुत्र और राज्यसभा सांसद विवेक ठाकुर, बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा और बीजेपी के तमाम छोटे – बड़े भूमिहार नेता क्षेत्र में घूम रहे हैं। जानकार बता रहे हैं कि जातीय गणित के लिहाज से महागठबंधन से जेडीयू उम्मीदवार मनोज कुशवाहा काफी मजबूत दिख रहे हैं। लेकिन मनोज कुशवाहा से राजद के परंपरागत वोटरों खासकर यादवों की नाराजगी महागठबंधन की चिंता का सबब है।

यही कारण है कि कुढनी की चुनावी सभा में तेजस्वी यादव को मनोज कुशवाहा की पूर्व की गलतियों को माफ करने की अपील करनी पड़ी! महागठबंधन की दूसरी चिंता एआइएमआइएम के उम्मीदवार मुर्तुजा अंसारी की उम्मीदवारी को लेकर है। भय है कि मुसलमानों का वोट उधर गया तो गोपालगंज उपचुनाव की कहानी दुहराई जा सकती है! यही वजह हैं कि कुढनी का चुनाव वोट मैनेजमैंट पर ज्यादा निर्भर हो गया दिख रहा है। दिनेश सिंह वोट मैनेजमैंट के बड़े खिलाडी़ माने जाते हैं।

उन्हें स्थानीय प्राधिकार चुनाव में लगातार मिल रही जीत उनके बेहतर वोट प्रबंधन का ही नतीजा माना जाता है। संभवत: इसी वजह से सुशील मोदी उनपर जिला परिषद सदस्यों और पंचायत प्रतिनिधियों के जरिय कुढनी में वोटिंग से पहले रुपया बंटवाने का आरोप लगा रहे हैं! उन्हें चेतावनी दे रहे हैं। सावधान रहने की हिदायत दे रहे हैं। उन्हें इनकम टैक्स की याद दिला रहे हैं!