स्टेट डेस्क/पटना: पूर्व रेल मंत्री और राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद ने देश में रेलवे की बदहाली पर केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार पर तीखा प्रहार किया है। लालू यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर लिखा है, अब कहीं ये रे की पटरियां न बेच दें!
लालू ने लिखा है कि 10 बरसों में मोदी की NDA सरकार ने:-
रेल का किराया भाड़ा बढ़ा दिया
प्लेटफार्म टिकट का दाम बढ़ा दिया
स्टेशन बेच दिए, जनरल बोगियां घटा दी
बुजुर्गों को मिलने वाला लाभ खत्म कर दिया
सेफ्टी-सिक्यॉरिटी घटाने पर रोज हादसे हो रहे है।
फिर भी कहते है रेलवे घाटे में है। अब ये कहीं रेल की पटरियां ना बेच दें।
जदयू का राजनीतिक प्रस्ताव नीतीश वंदना, बीजेपी को संदेश सीएम पद पर कोई समझौता नहीं
उधर, राजद ने जदयू की कार्यकारिणी बैठक और उसके प्रस्तावों की खिल्ली उड़ाई है। राजद प्रवक्ता चितरंजन गगन ने कहा है जदयू काका राजनीतिक प्रस्ताव — विरोधाभासी तथ्यों के साथ केवल एक व्यक्ति विशेष का स्तुति गान तक हीं सीित है। राजद प्रवक्ता ने कहा कि राजनीतिक प्रस्ताव देखने से तो यही लगता है कि वैचारिक दृष्टिकोण से पार्टी खुद अस्पष्ट और भ्रमित है।
पार्टी का एकमात्र लक्ष्य किसी प्रकार की सौदेबाजी कर सत्ता में बने रहना है। प्रस्ताव में जदयू ने अपने को महात्मा गांधी, डा आंबेडकर , लोहिया, जेपी, युसूफ मेहर अली और कर्पूरी जी के वैचारिक विरासत का वाहक होने का दावा किया गया है। पर व्यवारिक रूप इस दल का आचरण उन पुरुषों के वैचारिक सोच के विपरीत हीं रहा है।
राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर साम्प्रदायिक और विभाजनकारी शक्तियों के साथ हीं प्रभुत्ववादी ताकतों को स्थापित करने में जदयू का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। प्रस्ताव में दावा किया गया है कि यदि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा और विशेष पैकेज मिला रहता तो बिहार अबतक विकसित राज्यों की श्रेणी में आ जाता।
वहीं यह भी कहा गया है कि प्रधानमंत्री जी की कृपा से विशेष पैकेज मिल भी रहा है। इससे स्पष्ट है कि यदि मुख्यमंत्री की कुर्सी सुरक्षित रहे तो जदयू बिहार के वाजिब हिस्से के लिए भी केन्द्र से कोई मांग नहीं करेगा। बिहार में कराए गए जातीय जनगणना और बढ़ाए गए आरक्षण का श्रेय मुख्यमंत्री जी को दिया गया है।
पर इसे नौवीं अनुसूची में शामिल करे और राष्ट्रीय स्तर पर जातिगत गणना कराने सम्बन्धी मांग की कोई चर्चा नहीं किया गया है। सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि आज बिहार का एक बहुत बड़ा हिस्सा बाढ़ की विभीषिका झेल रहा है । लेकिन केंद्र से मदद के लिए प्रस्ताव में एक शब्द भी नहीं है।
राजद प्रवक्ता ने कहा कि जदयू के राजनीतिक प्रस्ताव का एकमात्र लब्बोलुआब यही है कि जदयू की एकमात्र प्राथमिकता सत्ता में बने रहना है। इसके लिए न कोई वैचारिक प्रतिबद्धता है और न बिहार का विकास। अपने प्रस्ताव में जदयू ने भाजपा को भी स्पष्ट संदेश दे दिया है कि वह मुख्यमंत्री पद पर कभी भी कोई समझौता नहीं करेगा। और भाजपा को हर हाल में जदयू का छोटा भाई बनकर हीं रहना होगा।