स्टेट डेस्क/पटना: विपक्षी दलों को एकजुट करने की नीतीश कुमार की मुहिम निर्णायक दौर में पहुंच गयी है। पटना में 23 जून को विपक्षी दलों की बैठक होगी। उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने बुधवार को मीडिया से यह जानकारी साझा की। बैठक में ओड़िशा के सीएम नवीन पटनायक, उत्तर प्रदेश की पूर्व सीएम ममता बनर्जी और आंध्र प्रदेश के सीएम जगन रेड्डी को छोड़कर सारे विपक्षी दलों का जुटान होगा।
मालूम हो कि पटना में नीतीश कुमार की अगुवाई में 12 जून को विपक्षी दलों की बैठक होने वाली थी, लेकिन विपक्ष के कई बड़े नेताओं की व्यस्तता की वजह से बैठक को टाल दिया गया था। इसको लेकर जेडीयू के विशेष सलाहकार और मुख्य प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा था कि बैठक में डेढ़ दर्जन गैर एनडीए दलों का मिलन होगा। नीतीश कुमार का विपक्षी एकता को लेकर ‘2024 का फॉर्मूला’ है कि बीजेपी से मुकाबला के लिए जब तक एक के मुकाबले एक उम्मीदवार नहीं होगा , तब तक उससे लड़ना और हराना मुश्किल होगा।
इसी रणनीति के तहत पटना में 12 जून को बैठक रखी गई थी, लेकिन कांग्रेस और द्रमुक के बड़े नेताओं का इसमें आना संभव नहीं हो रहा था। अब 23 जून को यह बैठक होने जा रही है। इसमें पार्टी के अध्यक्ष ही शामिल होंगे, जिससे किसी नतीजे पर पहुंचा जा सके। विपक्ष के बीच तालमेल के लिए नीतीश कुमार अधिकृत किये गये हैं।
जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि कर्नाटक में कांग्रेस ही अकेले बीजेपी को हरा दी तो इसलिए बीजेपी को ज्यादा गुमान में रहने की जरूरत नहीं है। वहीं, यूपी के फूलपर से नीतीश कुमार के चुनाव लड़ने के कयास पर उन्होंने कहा कि कई जगह से प्रस्ताव आए हैं, लेकिन यूपी में सपा सबसे बड़ी पार्टी है। हमलोग एक ही विचारधारा के लोग हैं इसलिए यह फैसला अखिलेश यादव और नीतीश कुमार ही कर सकते हैं।
जेडीयू नेता ने कहा कि नीतीश कुमार विपक्षी एकता की अगुवाई कर रहे हैं।नीतीश कुमार प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नहीं हैं। आगे उन्होंने कहा कि देश में लगभग 450 सीटों पर आम सहमति बन चुकी है. इन सीटों पर बीजेपी के विरोध में विपक्ष का एक ही उम्मीदवार होगा।