–विधानसभा के शीतकालीन सत्र को लेकर माले विधायक दल की बैठक में दलितों-पिछड़ों के आरक्षण के दायरे को बढ़ाने की भी मांग!
–जनता के ज्वलंत सवालों पर महागठबंधन सरकार से सार्थक हस्तक्षेप को भी बनाएगा मुद्दा.
स्टेट डेस्क /पटना: बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के मद्देनजर भाकपा-माले विधायक दल ने अपनी बैठक की. बैठक में माले राज्य सचिव कुणाल, विधायक दल के प्रभारी राजाराम सिंह, विधायक दल के नेता महबूब आलम, पोलित ब्यूरो के सदस्य अमर सहित कई विधायक उपस्थित थे.
अन्य उपस्थित लोगों में सचेतक अरूण सिंह, वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता, गोपाल रविदास, मनोज मंजिल, महानंद सिंह, संदीप सौरभ, रामबलि सिंह यादव, सुदामा प्रसाद, अजीत कुशवाहा आदि थे.
बैठक के हवाले से माले विधायक दल के नेता महबूब आलम ने बताया कि 13 दिसंबर से शुरू हो रहे विधानसभा के शीतकालीन सत्र के मद्देनजर माले विधायक दल ने अपनी कार्यनीति बना ली है. हमारा मुख्य जोर संविधान विरोधी सवर्ण आरक्षण के खिलाफ बिहार विधानसभा से प्रस्ताव लेने की मांग पर होगा. कई दूसरे राज्यों की विधानसभा ने ऐसे प्रस्ताव लिए भी हैं, बिहार विधानसभा से भी ऐसा प्रस्ताव लिया जाना चाहिए.
वहीं, हम दलितों-पिछड़ों के आरक्षण के दायरे को बढ़ाने संबंधी प्रस्ताव लेने की भी मांग करेंगे. विदित हो कि हाल ही में झारखंड सरकार ने ऐसा एक प्रस्ताव अपने यहां लिया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी इस मामले में वक्तव्य दिया था, समय है कि उसे अमलीजामा पहनाया जाया.
इसके साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट व राज्यों के उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की बहाली में आरक्षण व्यवस्था को लागू करने की भी मांग की जाएगी. न्यायिक प्रणाली पर भाजपा द्वारा किए जा रहे हमले तथा उसकी स्वायत्तता नष्ट करने की साजिशों को हम एजेंडा बनायेंगे.
एनआइए के जरिए मुसलमानों को आतंकित व प्रताड़ित करने की लगातार जारी कार्रवाइयों पर रोक लगाने की भी मांग की जाएगी. आज पूरे राज्य में मुसलमान समुदाय भय व आतंके साए में जी रहा है. एनआइए कोई स्वायत्त संस्था की तरह नहीं बल्कि भाजपा के इशारे पर काम करने वाली एक संस्था बन गई है. हम मांग करेंगे कि एनआइए की ऐसी गतिविधियों पर बिहार सरकार लगाम लगाए.
माले विधायक दल ने महसूस किया है कि महागठबंधन सरकार को जनता के ज्वलंत सवालों के प्रति गंभीर रूख दिखलाना चाहिए और उसपर कारगर हस्तक्षेप करना चाहिए. आज पूरे राज्य में गरीबों-दलितों-फुटपाथ दुकानदारों पर बुलडोजर चल रहे हैं. बरसो से बसे गरीबों को उजाड़ने की प्रक्रिया बदस्तूर जारी है.
हाइकोर्ट के आदेश की आड़ में पटना शहर के फुटपाथ दुकानदारों पर बुलडोजर चल रहे हैं. गरीबों के वास-आवास व रोजगार की रक्षा के लिए महागठबंधन सरकार को हर मोर्चे पर मुस्तैदी दिखानी होगी. न्यायालयों मे उसे जनता का पक्ष मजबूती से रखना चाहिए.
शिक्षक अभ्यर्थी अपनी बहाली की मांग पर लगातार आंदोलनरत हैं. उनके भीतर निराशा भी बढ़ रही है. सातवें चरण की शिक्षक बहाली अविलंब चालू हो. अतिथि शिक्षकों को अचानक हटा देने पर रोक लगाई जाए. शराबबंदी कानून के जरिए दलितों व कमजोर वर्ग पर दमन अभियान पहले से कहीं बढ़ गया है.
हम बार-बार कहते आए हैं कि शराबबंदी कानून अपने उद्देश्यों में कामयाब नहीं हो सका है. शराब माफियाओं पर तो कार्रवाई नहीं होती, लेकिन दलित-गरीबों पर इसकी गाज लगातार गिर रही है. यह कहीं से जायज नहीं है.
राज्य में अपराध की भी घटनाओं में वृद्धि हो रही है. बेगूसराय की घटना इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. धान की खरीद नहीं हो रही है. किसानों की घोर तबाही है. गांव के गांव बिजली कनेक्शन काट दिए जा रहे हैं. ये सब मुद्दे हम महागठबंधन के विधायकों की बैठक और विधानसभा सत्र के दौरान उठायेंगे.