- इंसाफ मंच का तीसरा राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न, गोपाल रविदास बने अध्यक्ष, कयामुद्दीन अंसारी सचिव
- समाज के कमजोर समुदाय के इंसाफ की मुहिम को एकताबद्ध करने और आगे बढ़ाने का लिया गया संकल्प
- सम्मेलन में हजारों की तादाद में अल्पसंख्यक व दलित समुदाय की भागीदारी
- महिलाओं की भी रही उल्लेखनीय भागीदारी, 71 सदस्यों की कमिटी का गठन
स्टेट डेस्क/पटना: दलितों, महिलाओं, अल्पसंख्यकों और कमजोर समुदाय पर जारी सांप्रदायिक हमले और हर प्रकार के अन्याय, अत्याचार से उत्पीड़ित जनता के इंसाफ की मुहिम को आगे बढ़ाते हुए आज पटना के गेट पब्लिक लाइब्रेरी में इंसाफ मंच का तीसरा राज्य सम्मेलन सफलतापूर्वक संपन्न हो गया. सम्मेलन से फुलवारी विधायक गोपाल रविदास अध्यक्ष और कयामुद्दीन अंसारी सचिव चुने गए. गया वे वरिष्ठ अधिवक्ता फैयाज हाली को सम्मानित अध्यक्ष बनाया गया.
मुख्य अतिथि भाकपा-माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि आज से 10 साल पहले इंसाफ मंच की शुरूआत हुई थी. 2013 में मोदी की रैली के दौरान गांधी मैदान में एक तथाकथित बम ब्लास्ट हुआ था और पूरे बिहार में उसके नाम पर मुस्लिम युवकों की गिरफ्तारी का सिलसिला चल पड़ा था. तब इंसाफ मंच ने पूरी बहादुरी के साथ उसका प्रतिकार किया था और मोदी व भाजपा के झूठ का पर्दाफाश किया था.
आज तो देश की नींव पर ही हमला है. आरएसएस-भाजपा द्वारा हिंदू राष्ट्र का खुलेआम आह्वान किया जा रहा है। हर दिन व हर स्तर पर संविधान को कुचला जा रहा है. देश में अल्पसंख्यक, दलित व महिलाएं निशाने पर है. उन्होंने कहा कि अमेरिका में जब एक पत्रकार ने प्रधानमंत्री मोदी से पूछा कि भारत में लोकतंत्र व संविधान सबकुछ खतरे में है, तो मोदी जी ने इसका जवाब देते हुए कहा कि ऐसा नहीं है. लोकतंत्र हमारी रगों में है और किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता. लेकिन उसके दो दिन बाद ही उनकी ही पार्टी के असम के मुख्यमंत्री ने उनकी पोल खोलते हुए कहा कि भाजपा की प्राथमिकता देश के अंदर के बराक हुसैन ओबामाओं को जेल में पहले डालने की है, उसके बाद किसी के बारे में सोचा जाएगा. यही आज के भारत का सच है.
आज हिंदुस्तान में उन्माद-उत्पात कोई अपवाद की घटना नहीं बल्कि एक नियम बन गया है. पूरे देश में आतंक का शासन चल रहा है. इसलिए जरूरत इस बात की है कि संविधान व लोकतंत्र की रक्षा के पक्ष में एक बड़ी एकता कायम की जाए, हम एक दूसरे का सुख-दुख समझें और एकताबद्ध होकर भाजपा को राज व समाज से बेदखल करें. सम्मेलन में माले विधायक दल के नेता महबूब आलम, सत्येदव राम, मनोज मंजिल, सुदामा प्रसाद, वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता, भाकपा-माले के राज्य सचिव कुणाल, खेग्रामस महासचिव धीरेन्द्र झा, मीना तिवारी, केडी यादव सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे.
प्रतिनिधियों ने सबने यह महसूस किया कि फासीवाद का सबसे तीखा हमला दलितों, मुसलमानों और महिलाओं पर ही है. इसलिए वक्त का तकाजा है कि उत्पीड़ित समुदाय आज मिलकर चले और अपनी चट्टानी एकता बनाए. महबूब आलम ने कहा कि देश में फासीवाद के खतरे की एकदम ठीक समय पर पहचान करते हुए बिहार में दलितों, मुस्लिमों, महिलाओं और कमजोर समुदाय के हक व इंसाफ की आवाज को बुलंद करने के लिए इंसाफ मंच का गठन हुआ था. तीसरा बिहार राज्य सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब फासीवादी गिरोह का हमला अपने चरम पर पहुंच गया है.