2019 में सारंग को पर्यावरणीय प्रयासों के लिए इंग्लैड के अंतरराष्ट्रीय डायना अवॉर्ड से किया गया था सम्मानित
स्टेट डेस्क/पटना: यूनिसेफ ने “युवाओं की भागीदारी: जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय स्थिरता” विषय पर एक विशेष शोध प्रकाशित किया है। यह शोध भारतीय युवाओं की जलवायु परिवर्तन पर सोच, उनके ज्ञान, सहभागिता, और उनके भीतर जिम्मेदारी को समझने के उद्देश्य से किया गया है। खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं की भागीदारी पर ध्यान केंद्रित करते हुए, यह शोध उनके दृष्टिकोण को समझने का प्रयास करता है।
इस शोध में भारत के 10 युवाओं का चयन किया गया और उनकी प्रेरणादायक यात्राओं को शामिल किया गया है। इनमें मुजफ्फरपुर के सिद्धांत सारंग भी शामिल हैं। सिद्धांत, जिन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से इतिहास में स्नातक किया है, ने पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में अहम योगदान दिया है। उन्हें 2019 में उनके पर्यावरणीय प्रयासों के लिए इंग्लैड का अंतरराष्ट्रीय डायना अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
उसी वर्ष, उन्होंने लंदन में आयोजित वन यंग वर्ल्ड समिट में भारत का प्रतिनिधित्व किया और राष्ट्रमंडल देशों के बीच जलवायु परिवर्तन पर भारत की स्थिति प्रस्तुत की। सिद्धांत के अनुभव इस बात का प्रमाण हैं कि भारत के युवा पर्यावरणीय संकटों का समाधान करने में कितने प्रभावी और प्रेरणादायक हैं। हाल ही में इस शोध को सार्वजानिक किया गया। सिद्धांत वर्तमान में भारतीय गुणवत्ता परिषद् में कार्यरत हैं।
इस शोध में शामिल सभी युवाओं से यह जानने का प्रयास किया गया कि उन्होंने किन चुनौतियों का सामना किया और भविष्य में ऐसी स्थितियों को कैसे बेहतर बनाया जा सकता है। इस शोध का उद्देश्य न केवल जलवायु आंदोलन में युवाओं की भागीदारी को प्रेरित करना है, बल्कि ऐसे नीतिगत सुझाव देना भी है जो भविष्य में बेहतर समाधान बन सकें।
यूनिसेफ का यह शोध जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूकता और युवाओं की सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा देने का प्रयास है। यह दिखाता है कि युवाओं के नेतृत्व और सामुदायिक प्रयासों से किस तरह सकारात्मक बदलाव लाए जा सकते हैं। शोध की सिफारिशें युवाओं को सशक्त बनाने और नीति निर्माण में उनकी भूमिका सुनिश्चित करने में सहायक होंगी। सिद्धांत सारंग जैसे युवा न केवल पर्यावरण की रक्षा के प्रतीक हैं, बल्कि समाज में एक बड़ी उम्मीद का चेहरा भी हैं।