पटना से शिवानंद गिरि।
कोई केंद्रीय मुद्दा हो या कोई राजनीतिक चुनाव बिहार में भला राजनीतिक विवाद ना हो ऐसा असंभव है ।अब देखिए राष्ट्रपति चुनाव को लेकर बिहार में राजनीतिक बयानबाजी अपने चरम पर है लेकिन इसी क्रम में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव द्वारा राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए दिया गया बयान आग में घी का काम किया है। तेजस्वी यादव के इस बयान पर बीजेपी और जेडीयू के बाद हम ने बड़ा हमला बोला है। हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) के संरक्षक जीतनराम मांझी ने राबड़ी देवी का नाम लिए बिना उन्हें रबड़ स्टांप मुख्यमंत्री बताया है।हम पार्टी के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जयसवाल ने राजनीतिक तापमान गर्म कर दिया है।
जीतनराम मांझी ने ट्वीट कर कहा है कि ‘लगभग सात साल तक बिहार को रबड़ स्टाम्प मुख्यमंत्री देने वाले राजद नेताओं को SC/ST समाज के लोग हमेशा रबड़ स्टाम्प ही लगते हैं। मांझी ने कहा है कि उन्हें भी कुछ लोग रबर स्टांप मुख्यमंत्री ही समझते थे लेकिन परिणाम सबने देखा है। जीतनराम मांझी ने कहा है कि *द्रौपदी मुर्मू पर कमेंट करने से पहले आरजेडी नेता अपनी शैक्षणिक योग्यता ही देख लेते तो शायद ऐसा नहीं कहते। इसी तरह बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा कि एक आदिवासी महिला जो सर्वश्रेष्ठ विधायक का पुरस्कार जीत चुकी हो, वह तेजस्वी यादव को मूर्ति नजर आती है और जिसे शपथ पढ़ने के लिए आदमी रखना पड़े, वह विद्वान।
संजय जायसवाल ने तेजस्वी यादव के बयान पर पलटवार किया है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि “एक आदिवासी महिला जो सर्वश्रेष्ठ विधायक का पुरस्कार जीत चुकी हो वह तेजस्वी यादव को मूर्ति नजर आती है और अपने घर की महिला जिसे शपथ ग्रहण कराने के लिए किसी और को शब्द पढ़ना पड़े तो वह विद्वान! अनुसूचित जाति, जनजाति के विद्वान राष्ट्रपति भी बन जाए तो भी उनका अपमान। बता दें कि शनिवार को आरजेडी नेता ने कहा था कि राष्ट्रपति भवन में हमें कोई मूर्ति तो नहीं चाहिए, हम राष्ट्रपति का चुनाव कर रहे हैं. आपने यशवंत सिन्हा को हमेशा सुना होगा लेकिन सत्ता पक्ष की राष्ट्रपति की उम्मीदवार को हमने कभी नहीं सुना है. वे जब से उम्मीदवार बनी हैं उन्होंने एक भी प्रेस वार्ता नहीं की है।
तेजस्वी के बयान को कैसे देखते हैं राजनीतिक विश्लेषक
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक ओम प्रकाश अश्क इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहते हैं कि तेजस्वी के इस बयान को हताशा में दिया गया बयान समझना चाहिए। उन्होंने कहा राष्ट्रपति चुनाव पर विपक्ष जिस तरह से विभाजित है उससे यह स्पष्ट है कि विपक्ष का उम्मीदवार किसी भी कीमत पर जीतने की स्थिति में नहीं है ऐसे में तेजस्वी यादव का बयान हताशा में दिया गया बयान समझना चाहिए। ओम प्रकाश अश्क सवालिया लहजे में कहते हैं कि तेजस्वी यादव को तो पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा से बात करनी चाहिए जिसके सरकार को उनकी पार्टी समर्थन कर रही है।
इतना ही नहीं, तेजस्वी यादव को यह भी ध्यान देना चाहिए कि केंद्रीय मंत्री रहते हुए यशवंत सिन्हा ने जिस मुलायम सिंह यादव को आई एस आई का एजेंट करार दिया था लेकिन उसी यशवंत सिन्हा के समर्थन में आज तेजस्वी और अखिलेश क्यों खड़े हैं ।यह सर्वविदित है बीजद, झारखंड मुक्ति मोर्चा और शिवसेना,उत्तरप्रदेश में राजभर और शिवपाल यादव का भी समर्थन मिल रहा है,ऐसे में वोटिंग से पहले ही पता चल गया है की UPA का प्रत्याशी हारेगा। वे कहते हैं राष्ट्रपति का पद एक संवैधानिक पद है जो केंद्र के फैसले का अनुमोदन कर सकता है।
क्या था मामला जिसको लेकर मचा है बवाल
दरअसल, तेजस्वी यादव ने शनिवार को शिवहर दौरे के दौरान एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को लेकर कहा था कि राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति को बैठाना है ना की मुर्ति को। आरजेडी नेता ने तंज कसते हुए कहा था कि हमने द्रौपदी मुर्मू को बोलते हुए कभी नहीं सुना है। इस बयान के बाद NDA के सभी दल तेजस्वी यादव पर लगातार हमलावर बने हुए हैं। बीजेपी और जेडीयू के बाद हम ने भी तेजस्वी यादव के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।