अशोक “अश्क” बिहार के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के लिए अब छुट्टी लेना एक बड़ी चुनौती बन गई है। राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए नए आदेश के तहत, अब किसी भी स्कूल के 10 फीसदी से अधिक शिक्षक एक साथ CL नहीं ले सकते। इस नए आदेश ने शिक्षकों और हेडमास्टरों दोनों की परेशानियों को बढ़ा दिया है। शिक्षक संघ ने इस आदेश को लेकर सरकार पर आरोप लगाए हैं कि वह शिक्षकों को परेशान करने पर तुली हुई है, जबकि शिक्षा व्यवस्था की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा।

दरअसल, बिहार शिक्षा विभाग ने हाल ही में एक नया फरमान जारी किया है जिसके अनुसार अब किसी भी स्कूल में शिक्षकों को छुट्टी लेने के लिए बहुत अधिक पाबंदियों का सामना करना पड़ेगा। नए नियम के अनुसार, यदि किसी स्कूल में 10 शिक्षक हैं, तो केवल एक शिक्षक ही छुट्टी ले सकेगा, जबकि अन्य शिक्षक छुट्टी के लिए आवेदन नहीं कर पाएंगे।
इस निर्णय ने शिक्षकों की व्यक्तिगत योजनाओं और निजी कामों को प्रभावित किया है, क्योंकि अब उन्हें छुट्टी लेने के लिए अधिक संघर्ष करना पड़ेगा। इस नए नियम का असर हेडमास्टरों पर भी पड़ा है। हेडमास्टर को स्थानीय स्तर पर शिक्षकों के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है। यदि वे छुट्टी मंजूर करते हैं, तो पढ़ाई में असर पड़ता है, जबकि यदि छुट्टी नहीं देते हैं तो शिक्षक तरह-तरह के आरोप लगाते हैं।
यह दुविधा हेडमास्टरों को और अधिक तनाव में डाल रही है। इससे पहले भी बिहार सरकार ने शिक्षकों के लिए सख्त नियम बनाए थे। जैसे, अगर कोई शिक्षक स्कूल में देर से पहुंचता था तो उनका वेतन काट लिया जाता था और यदि कोई शिक्षक महीने में चार बार 10 मिनट से अधिक देर से आता, तो उसका एक CL काट लिया जाता था।
इसे ई-शिक्षा कोष पर अपडेट किया जाता था और सामान्य प्रशासन विभाग के नियमों से जोड़ा जाता था। हालांकि, नए फरमान से यह स्थिति और भी कड़ी हो गई है। शिक्षक संघ ने सरकार के इस नए आदेश पर तीव्र प्रतिक्रिया व्यक्त की है। शिक्षक संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष केशव कुमार ने आरोप लगाया है कि सरकार का ध्यान केवल शिक्षकों को परेशान करने पर है।
उन्होंने कहा कि सरकार शिक्षा व्यवस्था सुधारने के बजाय शिक्षकों को उलझाए रखने की कोशिश कर रही है। केशव कुमार का यह भी कहना था कि इस नए आदेश से हेडमास्टरों की मुश्किलें और बढ़ गई है, क्योंकि वे या तो पढ़ाई में व्यवधान डाल रहे हैं या फिर शिक्षकों के आरोपों का शिकार हो रहे हैं।
शिक्षक लंबे समय से राज्य कर्मी का दर्जा मिलने की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनकी यह मांग अब तक पूरी नहीं हुई है। शिक्षक संघ का कहना है कि सरकार को इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और शिक्षकों की परेशानियों को समझना चाहिए।