हेमंत कुमार/पटना : जेडीयू एमएलसी मनोरमा देवी के बेटे राकेश रंजन यादव उर्फ रॉकी यादव से 20 लाख रुपये की वसूली (रिश्वतखोरी) में गिरफ्तार NIA के DSP अजय प्रताप सिंह का कनेक्शन BJP से है। वह उत्तर प्रदेश के चंदौली के धानापर ब्लॉक के तोरवा गांव के रामानंद सिंह का पुत्र है। अजय के साथ गिरफ्तार हिमांशु सिंह मोनल भाजपा के युवा संगठन भारतीय जनता युवा मोर्चा भभुआ-कैमूर जिला का प्रवक्ता है।
भारतीय जनता पार्टी की भभुआ – कैमूर जिला कार्यकारिणी का सदस्य है। भाजयुमो की ओर से रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र का प्रभारी है। हिमांशु और डीएसपी अजय रिश्तेदार हैं। अजय रिश्ते में हिमांशु का बहनोई है। अय रामगढ़ के पूर्व भाजपा विधायक अशोक कुमार सिंह का चचेरा दामाद है। हिमांशु,अशोक कुमार सिंह का भतीजा है।
सोशल मीडिया प्लेटफार्म फेसबुक और इंस्टाग्राम पर हिमांशु का एकाउंट देखने से पता चलता है कि वह भाजपा का समर्पित नेता है। भाजपा कई बड़े नेताओं के साथ उसकी तस्वीरें हैं। इन दिनों वह अपने चाचा अशोक कुमार सिंह के साथ रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में खूब सक्रिय है। अजय के एवज में पैसे की लेन देन हिमांशु ही करता था।
अजय मूलतः आयकर विभाग का अधिकारी (आइटीओ) है। वह जुलाई 2023 से एनआइए में डीएसपी के पद पर प्रतिनियुक्त है। एनआइए, ईडी और सीबीआइ में आयकर अधिकारियों की परतिनियुक्ति एक अलग किस्म के खेल की ओर इशारा करती है। प्रायः प्रतिनियुक्ति पर तैनात अधिकारी मोहरे की तरह इस्तेमाल किये जाते हैं। इसकी तह में जाने पर चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं।
अजय प्रताप सिंह भी एनआइए में रसूखदार लोगों का मोहरा है। उसकी गिनती भ्रष्टतम अफसरों में की जाती है,ऐसा सीबीआइ ने अपने इंवेस्टीगेशन मेमो में लिखा है। डरा-धमका कर वसूली करना उसकी का्यशैली बतायी जाती है। इसके लिए उसने रिश्ते के साले बीजेपी नेता हिमांशु को ‘मिड्लमैन’ बना रखा था।
हिमांशु को सीबीआइ की टीम ने 3 अक्टूबर को अजय के एवज में 20 लाख रुपये रिश्वत लेते गया में रंगे हाथ गिरफ्तार किया था। हिमांशु की निशानदेही पर डीएसपी अजय को पटना में गिरफ्तार किया गया था। गया के अनुग्रह कालोनी में मनोरमा देवी के आवास और ठिकानों पर अजय के नेतृत्व में 19 सितंबर को NIA की टीम ने छापेमारी की थी।
अजय के घर से चार करोड़ से अधिक की नकदी, दस लाइसेंसी हथियार मिले थे। छापे के बाद डीएसपी अजय ने रॉकी को NIA के पटना कार्यालय में 26 और 30 सितंबर को हाजिर होने के लिए दो बार समन किया था। रॉकी दोनों बार अपने चाचा योगेश कुमार के साथ पटना के पाटलीपुत्रा कालोनी में एनआइए दफ्तर गया। लेकिन अजय प्रताप के चैंबर में रॉकी अकेले गया।
जब अजय से वह पहली बार मिला तो उसने उससे तीन करोड़ रुपये रिश्वत की मांग की। कहा कि रुपये नहीं दोगे तो तुम्हें और तुम्हारी मां मनोरमा देवी को नक्सलियों से सांठ-गांठ और AK47 राइफल बरामदगी दिखाकर झूठे केस में जेल भेजने देंगे! दोनों बार रॉकी को कागज पर लिखकर एक फोन नंबर दिया।
जिस पर केवल ह्वाट्सएप कॉल करके फोन रिसीव करने वाले व्यक्ति को रुपये सौंपने की हिदायत दी। रॉकी को खुद फोन नहीं करने बल्कि दूसरे से फोन करवाने की भी चेतावनी दी गयी थी। कहा गया था कि फोन रिसीव करने वाले को कहना है कि बालू का पैसा देना है। पहली बार रॉकी ने संबंधित व्यक्ति को 25 लाख रुपये सौंप दिये।
यह राशि गया जिले के आमस पुलिस स्टेशन के पास दी गयी थी। जिस व्यक्ति ने 25 लाख रुपये रिसीव किया ,वह Thar गाड़ी से आया था। उसका रजिस्ट्रेशन नंबर UP65FB 9199 था। रॉकी के चचा योगेश ने रुपये देते समय अपने मोबाइल से आडियो – वीडियो रिकॉर्डिंग कर ली थी।
पहली बार 25 लाख रुपये मिलने के बाद रॉकी को दूसरा समन मिला जिसमें 1 अक्टूबर को दफ्तर आने को कहा गया था। वह फिर अपने चाचा के साथ एन आइ ए दफ्तर गया । लेकिन अजय से अकेले मिला । अजय ने फिर 70 लाख रुपये की मांग की। इस बार रॉकी ने रुपये देने में असमर्थता जताई तो अजय ने रिश्वत की राशि घटाकर 35 लाख कर दी और ॉकी को फिर एक फोन नंबर दिया।
इस बार रॉकी ने रुपये नही देने और सीबीआइ में शिकायत करने की योजना बना ली। थी। उसने पूरी बातचीत खुफिया कैमरे से रिकार्ड कर ली। उसने रुपये का इंतजाम न हो पाने का बहाना बनाकर अजय से एक – दो दिन की मोहलत मांगी। एन आइ ए दफ्तर से निकलकर उसने सारी बात चाची को बताई। सीबीआइ में शिकायत दर्ज कराने के लिए आवेदन तैयार किया।
दो अक्टूबर को सीबीआइ के दिल्ली स्थित दफ्तर में रॉकी ने ईमेल किया। एंटी करप्शन सेल के एसपी प्रवीण कुमार ने तत्काल पटना में तैनात इंस्पेक्टर विकास रनौत को निर्देशित किया। छुट्टी का दिन होने के बावजूद विकास ने तत्काल ईमेल चेक किया और रॉकी से संपर्क किया। रॉकी पटना में चाणक्य होटल में ठहरा हुआ था। इंस्पेक्टर विकास ने होटल पहुंच कर सारे कागजात और सबूतों को चेक किया।
शिकायत सही है, इसकी पुष्टि एसपी को कर दी। उसके बाद रॉकी को अजय से मिले फोन नंबर पर कॉल कर रुपये लेने वाले को बुलाने को कहा गया। तीन अक्टूबर की रात में हिमांशु सिंह मोनल रॉकी से रुपये लेने आया। रुपये थामते ही सीबीआइ की टीम ने उसे दबोच लिया। गया में हिमांशु की गिरफ्तारी के बाद सीबीआइ की टीम ने पटना में एनआइए के डीएसपी अजय प्रताप सिंह को दबोच लिया।
हिमांशु और अज की गिरफ्तारी के बाद बीजेपी के एक विधायक और कुछ नेता दोनों को छुड़ाने की जुगत लगाने लगे। लेकिन उनको सफलता नहीं मिली। जानकारों का कहना है कि मनोरमा देवी के यहां एन आइ ए की छापेमारी के पीछे बालू का सिंडिकेट काम कर रहा था। अजय प्रताप सिंह के कुछ रिश्तेदार और सजातीय दबंग ठेकेदार बालू के कारोबार पर एकतरफा कब्जा चाहते हैं। जांच में बालू माफियाओं से अजय प्रताप की सांठगांठ का भी खुलासा हो सकता है!