हेमंत कुमार/पटना : पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के संरक्षक जीतनराम मांझी के दलित समागम के मंच से मुख्यमंत्री नीतीश महज ढाई मिनट में उतर गये। जबकि उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी एक घंटे तक मंच पर जमे रहे। नीतीश ने जहां कुछ सेकेंड में अपना भाषण समाप्त कर दिया तो सम्राट चौधरी ने लंबा भाषण दिया।
नीतीश ने कहा ,’मैं आप सभी को नमन करता हूं। आज पार्टी की मीटिंग हो रही है, यह जानकारी मिली तो हम आप सभी को बधाई देने के लिए आए हैं।’

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इतना कहकर मुख्यमंत्री वहां से निकल गये। नीतीश दलित समागम में मंत्री विजय कुमार चौधरी के साथ पहुंचे थे। भीड़ ने नीतीश कुमार जिंदाबाद के नारे लगाए। मुख्यमंत्री ने भी हाथ हिलाया। जीतनराम मांझी ने खड़े होकर नीतीश का स्वागत किया जबकि उनके बेटे मंत्री संतोष सुमन ने पैर छूकर नीतीश का आशीर्वाद लिया।
नीतीश के जाने के बाद में जीतन राम मांझी ने अपने भाषण के दौरान सफाई दी कि यह एनडीए की बैठक नहीं है, इसलिए मुख्यमंत्री आकर चले गये।
लेकिन मांझी की यह सफाई काम नहीं आयी क्योंकि सम्राट चौधरी एक घंटे तक वहां जमे रहे। सम्राट ने कहा,’दलित समाज के लिए खून भी देना पड़े तो सम्राट चौधरी पीछे नहीं हटेगा।’ हालांकि उनकी बात से लोग यह समझ नहीं पाये कि उनको दलितों के लिए खून देने की जरूरत क्यों महसूस हो रही है।
सम्राट ने कहा, अब तक दलित बच्चों को जितनी राशि दी जाती है, अब उससे दोगुनी राशि दी जाएगी। मुख्यमंत्री की सहमति से आने वाले बजट में इसका प्रविधान किया गया है। सम्राट ने कहा कि अभी 36 सीटों पर दलित समाज के लोग चुनाव लड़ते हैं। आरक्षण बढ़ा तो 2029 में 70 लोग दलित समाज से आएंगे।
मुख्यमंत्री ने लौटने के बाद जीतनराम मांझी ने अपने मुख्यमंत्रित्वकाल का गुणगान किया। कहा कि मैंने मुख्यमंत्री रहते हुए कई निर्णय लिए मगर वह लागू नहीं हुए। मेट्रो का विचार मेरी सरकार में ही मंत्री रहे सम्राट चौधरी ने दिया। बिहार में सफाई कर्मचारी आयोग के गठन का मसौदा मेरी सरकार में आया मगर न जाने कहां चला गया। भूमिहीनों को पांच डिसमिल जमीन देने का निर्णय लिया गया। मगर तीन डिसमिल जमीन ही मिल रही, उसमें भी 80 प्रतिशत पर दबंगों का कब्जा है।
उन्होंने कहा कि बिहार में भूमि सुधार का काम नहीं हुआ। अगर होता तो करीब 11 लाख भूमिहीन हैं, सभी के पास एक-एक एकड़ जमीन मिल जाती।लड़कियों को मुफ्त व्यावसायिक पढ़ाई की सुविधा मिले। बिहार में सफाई कर्मचारी आयोग बनाया जाए। राजनीति में दलित समाज को एक होने की जरूरत है। 2025 में एकजुट होकर निर्णय लीजिए।
मांझी ने दलितों को शैक्षणिक आधार पर वर्गीकृत कर आरक्षण का लाभ देने की मांग की। अनुसूचित समाज में कई ऐसी उपजातियां हैं जिनकी साक्षरता दर महज सात से आठ प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि 20% से कम साक्षर लोगों को अलग वर्गीकृत कर आरक्षण दिया जाए और 20% से अधिक साक्षर लोगों को अलग आरक्षण मिले। मांझी ने कहा कि राजनीति चाभी है और विकास ताला। चाबी लीजिएगा ,तभी ताला खुलेगा।
मांझी ने कहा, हमारी एससी-एसटी की आबादी सबसे अधिक 30 प्रतिशत है। यह 30 प्रतिशत आबादी एक हो गयी तो 2025 के चुनाव में अपने मन की सरकार बनेगी। देखिए, कौन आगे बढ़ा रहा है, उसे एकजुट होकर वोट दीजिए। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और नीतीश सरकार में मंत्री डा. संतोष कुमार सुमन ने कहा कि दलित-महादलित सभी एक हैं। यहां कोई जाति-उपजाति नहीं है। दलित एकजुट होकर एनडीए को मजबूत करेंगे और 225 से ज्यादा सीट लाएंगे।