स्टेट डेस्क/पटना : राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के पूर्व सदस्य और भाजपा नेता डा योगेंद्र पासवान ने आरोप लगाया है कि नीतीश कुमार जातीय विद्वेष के सहारे 2024 के लोकसभा चुनाव में उतना चाहते हैं। क्योंकि 2014 के लोकसभा चुनाव में उनको पता चल चुका है कि एनडीए शासनकाल में हुए विकास का श्रेय जनता नीतीश की बजाय भाजपा को देती है। इसलिए नीतीश कुमार बिहार में राजद के साथ मिलकर जातीय उन्माद पैदा करने की साजिश कर रहे है।
डा योगेंद्र ने कहा, नीतीश ने पहले अनुसूचित जाति के लोगों को दलित और महादलित के बीच बांटा, जब उससे संतोष नहीं हुआ तो अब बिहार स्टेट टेक्सबुक द्वारा प्रकाशित कक्षा 8 के पाठ्यक्रम में संविधान निर्माता डा भीम राव आंबेडकर के संदर्भ में तथ्य से परे प्रसंगो का उल्लेख किया गया है। जिससे पूरा दलित समाज आहत है। डा आंबेडकर ने 1927 में महाड़ सत्याग्रह आंदोलन आरम्भ किया था जबकि बिहार सरकार ने उसे तोड़ मरोड़ कर पेश कर रही है।
बिहार स्टेट टेक्सबुक पब्लिशिंग काॅरपोरेशन लिमिटेड, पटना द्वारा प्रकाशित वर्ग 8 के सामान्य अध्ययन की किताब ‘‘अतीत से वर्तमान’’ भाग 3 के अध्याय 8 में जातीय व्यवस्था की चुनौतियां वाले चैप्टर में महाड़ सत्याग्रह के जगह पर “महादलित सत्याग्रह” शब्द का प्रयोग किया गया है। जिससे सम्पूर्ण अनुसूचित जाति समाज अपमानित महसूस कर रहा है।
डा योगेंद्र ने कहा, नीतीश कुमार कहा करते है कि मैं अपने पिताजी के साथ दवा की पुड़िया बांधने का काम करता था।
लेकिन आजकल वह दलित समाज के बीच जहर का पुड़िया बांट रहें है। उन्होंने कहा कि संविधान निर्माता बाबा साहब डा भीमराव आंबेडकर का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। बिहार सरकार ‘‘अतीत से वर्तमान’’ (सामान्य अध्ययन) की पुस्तक से महादलित शब्द को शीघ्र हटाए अन्यथा दलित समाज आन्दोलन करने के लिए बाध्य होगा!