पटना, बीपी डेस्क। बिहार में जातियों की गिनती राज्य मंत्रिमंडल और एनडीए सरकार का एक सामूहिक निर्णय है और भाजपा ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह किसी का व्यक्तिगत अथवा किसी एक राजनीतिक पार्टी का अकेले का निर्णय नहीं है। राजद को इसका अनुचित श्रेय नहीं लेना चाहिए।
ये यूपीए सहयोगी दल ही थे जिन्होंने 2011 की जाति जनगणना को ध्वस्त करा दिया जिसके लिए राजद- कांग्रेस एवं उनके सहयोगी दलों को माफी मांगनी चाहिए। हमने कभी भी जाति जनगणना सीधे तौर पर और सख्ती से विरोध नहीं किया, लेकिन हम मोडलिटी, तौर-तरीकों या फिर प्रक्रियात्मक दिक्कतों को लेकर हमेशा चिंतित रहे हैं।
केंद्र सरकार ने 127 वें संविधान संशोधन के बाद राज्यों द्वारा जाति की गिनती के साथ-साथ जाति के वर्गीकरण के लिए मार्ग प्रशस्त किया है। इस संशोधन के माध्यम से हम राज्यों को सशक्त बनाने वाले महत्वपूर्ण निर्णय के लिए नरेंद्र मोदी जी को दिल से बहुत धन्यवाद देते हैं।