बीपीएससी परीक्षा रद्द करने की मांग में पप्पू यादव का समर्थन, धरने पर बैठे अभ्यर्थियों से मिले

पटना

अशोक “अश्क” बिहार लोक सेवा आयोग की 70वीं प्रीलिम्स परीक्षा को फिर से आयोजित करने की मांग को लेकर पटना में धरने पर बैठे परीक्षार्थियों को पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव का समर्थन मिला है। सोमवार रात को अपने जन्मदिन के अवसर पर भी पप्पू यादव गर्दनीबाग स्थित धरना स्थल पहुंचे और रातभर अभ्यर्थियों के साथ बैठे रहे। उन्होंने बिहार सरकार से बीपीएससी परीक्षा को रद्द कर एग्जाम माफिया के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है।

सांसद पप्पू यादव ने सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट के माध्यम से बताया कि वह रात भर परीक्षार्थियों के साथ धरने पर हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार कुंभकर्ण की नींद सो रही है और उसे अब जागना होगा। पप्पू यादव ने कहा, राज्य सरकार को बीपीएससी की 70वीं पीटी परीक्षा को रद्द कर फिर से परीक्षा आयोजित करनी चाहिए। हमारी बेटियां ठंड में धरने पर बैठी हैं, और सरकार आराम से रजाई में सो रही है।

उन्होंने इस मुद्दे पर अपनी बात को मजबूती से रखते हुए कहा कि यह संघर्ष अनवरत जारी रहेगा। मंगलवार सुबह मीडिया से बातचीत में पप्पू यादव ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यदि सरकार परीक्षार्थियों पर दबाव डालेगी, उन्हें परेशान करेगी और लाठियां चलवाएगी तो उनके जैसे लोग हमेशा उनके समर्थन में खड़े होंगे।

उन्होंने सभी विपक्षी सांसदों और विधायकों से भी अपील की कि वे इस आंदोलन में शामिल हों और धरने पर बैठें। पप्पू यादव ने यह भी कहा कि सत्ता पक्ष के सांसदों और विधायकों को उनके घरों से बाहर न निकलने दिया जाए और उनके घरों के सामने धरना दिया जाए। यहां बता दें कि बीपीएससी ने 13 दिसंबर को 70वीं पीटी परीक्षा का आयोजन किया था, लेकिन पटना के बापू परीक्षा केंद्र पर कथित गड़बड़ी के कारण परीक्षार्थियों ने हंगामा किया।

बाद में पेपर लीक होने का आरोप भी लगाया गया, हालांकि आयोग ने इसे नकारा। इसके बाद बापू परीक्षा केंद्र के परीक्षार्थियों के लिए पुनः परीक्षा आयोजित करने का निर्णय लिया गया। लेकिन, गर्दनीबाग में कई दिनों से धरना दे रहे परीक्षार्थियों की मांग है कि न केवल बापू परीक्षा केंद्र की परीक्षा, बल्कि पूरे 70वीं पीटी परीक्षा को रद्द कर फिर से आयोजित किया जाए।

अभ्यर्थियों का कहना है कि बीपीएससी परीक्षा में गड़बड़ी के कारण उनका भविष्य दांव पर लगा है, और वे चाहते हैं कि आयोग पूरी प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से दोबारा आयोजित करे।