हेमंत कुमार/पटना : जेडीयू के भीतर बढ़ती अपनी आलोचनाओं के बीच राज्यसभा के उपसभापति जेडीयू सांसद हरिवंश नारायण सिंह सोमवार की देर शाम पटना में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिले। दोनों नेताओं के बीच करीब डेढ़ घंटे चली इस मुलाकात पर रहस्य का पर्दा पड़ा हुआ है।
दोनों में क्या बात हुई,यह तो वही दोनों जानें। लेकिन राजनीतिक गलियारे में तरह तरह की चर्चाएं जारी हैं। दो दिन पहले जब नीतीश अपने सांसदों से वन टू वन मिल रहे थे ,तब हरिवंश का न आना चर्चा का विषय बना था। इसे जेडीयू में बगावत के सुर की तरह महसूस किया गया था। जिस दिन नीतीश सांसदों से मिल रहे थे,उसी दिन महाराष्ट्र में एनसीपी में बगावत की खबर मीडिया में छाई हुई थी। और सोमवार की शाम जब हरिवंश पटना में नीतीश से मिलने पहुंचे तब उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के खिलाफ लैंड फॉर जॉब मामले में सीबीआइ की चार्जशीट खबर सुर्खियों में थी।
हरिवंश नारायण सिंह के बारे कहा जाता है कि वह नीतीश के दल में हैं , लेकिन उनके दिल में भाजपा बसती है। वह हमेशा से लालूराज के आलोचक और नीतीश के प्रशंसक रहे हैं। नीतीश जैसे ही लालू से हांथ मिलाते हैं हरिवंश असहज होने लगते हैं। लालू का साथ छोड़ते ही दोनों के रिश्ततों जमी बर्फ पिघलने लगती है। राज्यसभा में विवादित कृषि बिल पारित करवाने में हरिवंश की मनमानी की काफी आलोचना हुई थी। हरिवंश प्रधानमंत्री के प्रिय पात्र बताये जाते हैं।
पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चंद्रशेखर से भी इनका नजदीकी रिश्ता रहा था। पिछले महीने नये संसद भवन के उद्घाटन समारोह में हरिवंश की मौजूदगी को लेकर जेडीयू के भीतर से विरोध हुआ था। कहा जा रहा था कि जब गैर बीजेपी विपक्ष ने उद्घाटन का बहिष्कार कर रखा है तो हरिवंश किस हैसियत से उस कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं।
हालांकि सोमवार की शाम हरिवंश-नीतीश मुलाकात पर जेडीयू और राजद के दो नेताओं की सफाई आ गयी है। भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी और पूर्व मंत्री श्याम रजक ने अलग अलग बयान में इसे सामान्य मुलाकात बताया है। चौधरी ने कहा , हरिवंश-नीतीश की मुलाकात का सियासी मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए। जैसे अन्य सांसद और विधायक नीतीश से मिले थे,उसी तरह हरिवंश भी मिलने पहुंचे थे।