स्टेट डेस्क/पटना: बिहार में जातीय गणना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर बुधवार को पटना हाइकोर्ट में सुनवाई पूरी हो गयी। हाइकोर्ट ने इस पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। कोर्ट गुरुवार, 4 मई, 2023 को अंतरिम आदेश पारित करेगा।
अखिलेश कुमार एवं अन्य की याचिकाओं पर चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ सुनवाई कर रही है। कोर्ट ने यह जानना चाहा कि जातियों के आधार पर गणना व आर्थिक सर्वेक्षण कराना क्या कानूनी बाध्यता है?
कोर्ट ने ये भी पूछा है कि ये अधिकार राज्य सरकार के क्षेत्राधिकार में है या नहीं। कोर्ट ने यह भी जानना चाहा कि इससे निजता का उल्लंघन होगा क्या!
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ने जातियों की गणना और आर्थिक सर्वेक्षण करा रही है। उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण कराने का अधिकार राज्य सरकार के क्षेत्राधिकार में नहीं है।
उन्होंने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार जातियों की गणना व आर्थिक सर्वेक्षण करा रही है जो संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत है।
उन्होंने कहा कि प्रावधानों के तहत इस तरह का सर्वेक्षण केंद्र सरकार करा सकती है। यह काम केंद्र सरकार के क्षेत्राधिकार में आता है। उन्होंने बताया कि इस सर्वेक्षण के लिए राज्य सरकार पांच सौ करोड़ रुपए खर्च कर रही है।
दूसरी तरफ राज्य सरकार की ओर से दलील दी गयी कि जन कल्याण की योजनाएं बनाने और सामाजिक स्तर सुधारने के लिए यह सर्वेक्षण कराया जा रहा है। कोर्ट इस मामलें पर कल 4 मई,2023 को अंतरिम आदेश पारित करेगा। याचिकाकर्ता के वकील दीनू कुमार ने कहा , हमें उम्मीद है कि फैसला हमारे पक्ष में आयेगा।