पटना : माले की सलाह , जीएम सरसों की मंजूरी को वापस लेने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार केन्द्र सरकार को पत्र लिखें!

पटना

स्टेट डेस्क/पटना : भाकपा-माले के विधायकों ने बिहार सरकार से केंद्र सरकार को जीएम सरसों की मंजूरी को वापस लेने का अनुरोध करने का आग्रह किया है. माले विधायक सत्यदेव राम, गोपाल रविदास और संदीप सौरभ सहित अन्य विधायकों ने कहा है कि चूंकि यह मामला संसद में जल्द ही आने वाला है, इसलिए बिहार सरकार को इसमें त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए.

इधर, अखिल भारतीय किसान महासभा के महासचिव व पूर्व विधायक राजाराम सिंह ने कहा है कि भारत सरकार ने आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएम) सरसों की पर्यावरणीय रिलीज की मंजूरी दे दी है, जो किसानों द्वारा वाणिज्यिक खेती के लिए एक अनुमोदन है. यह पहली बार है जब भारत में एक जीएम खाद्य फसल को मंजूरी दी गई है. वर्ष 2009 में ठोस वैज्ञानिक प्रमाण द्वारा समर्थित जन प्रतिरोध ने बीटी बैंगन की नियामक अनुमोदन को रोक दिया था.

तत्कालीन केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने फरवरी 2010 में बीटी बैंगन के व्यवसायीकरण को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया था. इस बीच, भारत में खेती के लिए अनुमोदित एकमात्र जीएम फसल, बीटी कपास का 20 साल की खेती के बाद प्रभाव हमारे सामने है. कपास की पैदावार में लगातार कमी आ रही है, कीटनाशकों और खरपतवारों जैसे रसायन का उपयोग बढ़ रहा है, किसानों को कीट प्रतिरोध के कारण भारी नुकसान उठाना पर रहा है, और राज्य सरकारों को सरकारी निधि से किसानों की भरपाई करनी पर रही है, वहीं निजी बीज उद्योग, जिनमें 95 प्रतिशत मोनसेंटो/बायर नियंत्रित हैं, मुनाफ़ा कमा रहे हैं.

स्वीकृत जीएम सरसों को पेटेंट कराया गया है, जबकि यह दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा विकसित किया गया है. परागण नियंत्रण के लिए बार-बारसेज़-बारस्टार जीन की मूल तकनीक बायर की है और किसी ने भी उन नियमों और शर्तों को नहीं देखा है जिन पर दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा प्रौद्योगिकी का उपयोग किया गया है. यह एक तृणनाशक सहिष्णु (एचटी) सरसों है, जिसका पर्यावरण, मानव स्वास्थ्य के साथ-साथ आजीविका पर खतरनाक प्रभाव पड़ेगा. सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बावजूद जैव सुरक्षा दस्तावेज़ को सार्वजनिक नहीं किया गया है.

जीएम सरसों को मंजूरी देने पर राज्य सरकारों से परामर्श भी नहीं किया गया है. सबसे महत्वपूर्ण बात, जब सरसों की बात आती है तो भारत पहले से आत्मनिर्भर है, और किसानों के लिए बाजार में पहले से ही दर्जनों गैर-जीएम संकर उपलब्ध हैं. सरसों की 45 प्रतिशत भूमि पर पहले से ही गैर-जीएम संकर फसल लगाया जाता है, जिसने भारत के खाद्य तेल आयात को नीचे नहीं लाया है – तो जीएम सरसों संकर यह कैसे करेगा? दूसरी ओर, जब इस साल देश में सरसों की रिकॉर्ड खेती और उत्पादन हुआ है, तो भारत सरकार ने खाद्य तेल आयात शुल्क को कम कर दिया है, और हमारे किसानों को घोषित एमएसपी भी नहीं मिल पाया।

यदि हम अपने किसानों के साथ इस तरह से व्यवहार करते हैं तो खाद्य तेल उत्पादन कैसे बढ़ेगा? इस पृष्ठभूमि में, यह आश्चर्य की बात है कि बिहार सरकार ने जीएम एचटी सरसों के हमले के खिलाफ सरसों के किसानों, मधुमक्खी पालकों और कृषि श्रमिकों की रक्षा के लिए सक्रिय कदम नहीं उठाए हैं. अतीत में, बीटी बैंगन के मामले में, आप इस तरह के जीएम खाद्य फसल के खिलाफ चिंता व्यक्त करने वाले पहले मुख्यमंत्रियों में से एक थे और आपने 2009 में केन्द्र सरकार को पत्र भी लिखा था.

2011 में बिहार में मोनसेंटो के अवैद्य फील्ड ट्रायल के खिलाफ आपने केंद्र सरकार को पत्र लिखा था। 2016 में आपने जीएम सरसों के खिलाफ भी पत्र लिखा था. यह बात स्पष्ट है कि यदि जीएम सरसों को केंद्र सरकार अनुमति देती है, तो भले ही बिहार लाइसेंस जारी न करे, अवैध बीज अन्य राज्यों से आ जाएंगे. यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि केंद्र सरकार ने जो अनुमोदन दिया है उसे वह वापस ले. हमें उम्मीद है कि बिहार सरकार सार्वजनिक हित में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री और भारत के प्रधानमंत्री को तुरंत पत्र भेजेगी.