पटना : जनता अपने वोट से देगी मणिपुर का जवाब : दीपंकर भट्टाचार्य

पटना

*‘इंडिया’ नाम से भाजपा में घबराहट, विपक्षी एकता की प्रक्रिया लगातार बढ़ रही आगे….

वैचारिक एकता, भाजपा के खिलाफ मजबूत आंदोलन और वोटों के बिखराव को रोकने के लिए है ‘इंडिया’…

गैर भाजपा शासन का चरित्र अलग होना चाहिए.

स्टेट डेस्क/पटना : भाकपा-माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि आने वाले चुनाव में देश की जनता मणिपुर का जवाब देगी और भाजपा को सबक सिखाएगी. 2017 में जब वहां कांग्रेस की सरकार थी, तो भाजपा कहती थी कि यदि मणिपुर संभल नहीं रहा तो इस्तीफा दे देना चाहिए.

आज 81 दिनों से मणिपुर जल रहा है, सैकड़ो हत्याएं हो चुकी हैं, यौन हिंसा की कई घटनाएं सामने आई है, उसकी आग नागालैंड तक पहुंच गई है लेकिन प्रधानमंत्री इसपर एक शब्द नहीं बोलना चाहते हैं.

भाजपा पूरे देश के सामाजिक ताने-बाने को ध्वस्त करने में लगी हुई है. चारो तरफ आग लगी हुई है. जहां-जहां डबल इंजन की इनकी सरकार है, वे तो बर्बाद ही हो चुके, अब पूरा देश बर्बाद व तबाह हो रहा है. देश की जनता यह सब देख और समझ रही है. इसका माकूल जवाब दिया जाएगा.

दीपंकर ने कहा कि बंगलुरू में 26 विपक्षी दलों की बैठक से ‘इंडिया’ अपने अस्तित्व में आया. सबने महसूस किया कि संविधान व लोकतंत्र तो खतरे में है ही, अब पूरा देश खतरे में है. इसलिए सबको मिलकर आगे बढ़ना होगा. इससे पूरे देश में लोगों के बीच उत्साह का नया संचार हुआ है. विपक्षी एकता की प्रक्रिया लगातार आगे बढ़ रही है.

यह भी कहा कि ‘इंडिया’ शब्द से भाजपा में घबराहट है. इंडिया, दैट इज भारत, यह हमारे संविधान की प्रस्तावना में है, लेकिन भाजपा के नेता इसपर अनाप-शनाप बोल रहे हैं. इसे कोई ईस्ट इंडिया कंपनी से जोड़ रहा है तो कोई इंडिया बनाम भारत कर रहा है.

भाजपा के नेता अपने ट्वीटर से इंडिया शब्द हटा रहे हैं. यदि देश में किसी भी भाषा में सबसे ज्यादा प्रयोग होने वाला कोई शब्द है तो वह है इंडिया. इससे साबित होता है कि विपक्षी दलों की बीच की एकता की प्रक्रिया से भाजपा में भारी घबराहट है.

बंगलुरू बैठक में तीन महत्वपूर्ण चीजों पर बात हुई. पहली – विपक्षी दलों के बीच एक मजबूत वैचारिक एकता का निर्माण, 2. भाजपा के खिलाफ पूरे देश में मजबूत जनांदोलन और 3. वोटों में बिखराब को रोकने के लिए सीटों की शेयरिंग. इस दिशा में हम लगातार आगे बढ़ रहे हैं.

बंगलुरू बैठक से सामान्य संकल्प लिया गया कि जहां-जहां गैर भाजपा सरकारें हैं, उन्हें उसी संकल्प के आलोक में बढ़ना चाहिए. संकल्प पत्र वैकल्पिक राजनीति, सामाजिक और आर्थिक एजेंडे की बात करता है, लेकिन हम देख रहे हैं कि बिहार में उसकी लगातार उपेक्षा हो रही है.

आशा कार्यकर्ताओं-फैसिलिटेटरों सहित नियोजित शिक्षकों के सवाल हैं. उम्मीद थी कि बिहार सरकार अपनी कार्यशैली में बदलाव करेगी, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है. गैर भाजपा शासन का चरित्र अलग होना चाहिए. इसपर हम लगातार बात करते रहे हैं और आगे भी हमारी कोशिश जारी रहेगी.

अखिल भारतीय किसान महासभा के महासचिव राजाराम सिंह ने कहा कि भाजपा देश को तोड़ने में लगी है. विभाजन व नफरत की राजनीति ही उसका केंद्रीय बिन्दु है. यह नफरत की राजनीति अब चलने वाली नहीं है.

आशाकर्मियों की नेता शशि यादव ने आशाकर्मियों की मांगों को पूरा करने की मांग उठाई. कहा कि आशाकर्मियों को मानदेय कहकर 1000रु. का मासिक पारितोषिक दिया जा रहा है. इसे बदलने की जरूरत है. बिहार सरकार आशा कर्मियों व फैसिलिटेटरों के लिए सम्मानजनक मानदेय की व्यवस्था करे.

राज्य सचिव कुणाल ने शिक्षकों पर जारी दमनात्मक कार्रवाई की निंदा की. कहा कि बिहार शिक्षक संघर्ष मोर्चा में 14 संगठन शामिल हैं, 13 संगठनों के नेताओं पर कार्रवाई कर दी गई है. यह निंदनीय है. 24 जुलाई को हमारी पार्टी के विधायक वार्ता के मसले पर लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव से मिलै. हमें उम्मीद है कि सरकार अविलंब वार्ता के लिए वाम दलों व शिक्षक संगठनों को आमंत्रित करेगी.संवाददाता सम्मेलन में फुलवारी विधायक गोपाल रविदास भी उपस्थित थे