PATNA : अपने नेताओं के माध्यम से धार्मिक विद्वेष फैलाने चाहती है राजद- अरविन्द सिंह

पटना

DESK : भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता अरविन्द कुमार सिंह ने कहा है कि मा शिक्षा मंत्री श्री चंद्रशेखर और अन्य नेताओं के माध्यम से बिहार में जातीय विद्वेष फैलाने चाहती है राजद। जिस मंच पर राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह जी बैठे हो शिवानंद तिवारी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बैठे हैं और वहां पर श्री चंद्रशेखर इस तरह का विद्वेष का भावना सांस्कृतिक राष्ट्रवाद पर हमला और हिंदुओं के पवित्र ग्रंथ राम चरित्र मानस पर हमला आपस में भाईचारा को खंडित करने का प्रयास यह बहुत ही बड़ा दुर्भाग्य है।

भोजपुर जिले से गरीबों को पिछड़ों को अंग्रेजों ने विदेश में मजदूरी करने के लिए भेजा था वे रामायण लेकर के गिरमिटिया मजदूर के रुप में मारीशस गये और वहां पर जाकर उसी रामायण को उसी रामचरित्रमानस को अपना संविधान बना लिया। अरविन्द ने कहा है कि आज वहां पर राष्ट्रपति बनकर वहां पर शासन कर रहे है।

यही बिहारी गरीब मजदूर और राम चरित्र मानस में इतना दम था आज वह आदर्श है। और इस बिहार के रहने वाले सीता माता की धरती पर एक राजद का कलंकित मानसिकता के आसुरी प्रवृत्ति वाले लोग जिस तरह से बयान दे रहे हैं। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद पर हमला कर रहे हैं यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। यह समाज में जातीय विद्वेष फैलाना धार्मिक विद्वेष फैलाने आपस में दलित पिछड़ा को लड़ाना। इसलिए चाहते हैं,ताकी विकास तो कुछ किया नहीं है विनाश करके ही वोट ले ले यह सब कहीं न कहीं सियासी कलाकार हैं।

राजद की प्रवृत्ति रही है इस तरह का उसी प्रवृत्ति पर राजद चल रही है। इसमें और कोई बात नहीं है। ‘शिकारी आएगा जाल बिछाएगा दाना डालेगा लोभ से फसना मत’। इसी राजद के मानसिकता को दूर करने के लिए हम लोग आज भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने पार्टी कार्यालय के सामने हनुमान मंदिर पर सुंदरकांड का पाठ किया है। कि हे महावीर जी इनके कलुषित मानसिकता को आसुरी प्रवृत्ति को आप इन से निकाले और विकास के राह पर राजद चले।
इनमें अच्छे प्रवृत्ति की संचार हो।

इस रामायण पाठ करने वालों में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता अरविन्द कुमार सिंह आई टी हेड श्री दिलीप मिश्रा, श्री सोनू शर्मा प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य, डॉ निर्णाल झा, अजीत कुमार सिंह सहित अनेकों कार्यकर्ता बैठ कर की रामायण के सुंदरकांड का रामचरितमानस पाठ किया रामायण के प्रथम रचयिता बाल्मीकि थे और उस बाल्मीकि समाज को भी यह लोग अपमानित करने का काम किया है।