स्टेट डेस्क/पटना : राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राज्यसभा के पूर्व सदस्य शिवानंद तिवारी ने केन्द्रीय गृह मंत्री अमित के बिहार दौरे को। लेकर कहा कि बिहार गांधी, लोहिया और जयप्रकाश की धरती है. यहां अमित शाह की दाल गलने वाली नहीं है.
देश को अमित शाह जैसा असफल गृहमंत्री अभी तक नहीं मिला था. ये उसी गुजरात से आते हैं जहा देश के पहले गृहमंत्री लौह पुरुष सरदार पटेल पैदा हुए थे. लेकिन गृहमंत्री के रूप में दोनों एक दूसरे के बिल्कुल विपरीत है. मणिपुर को ही देख लीजिए. वहां आग लगी हुई है. गृह युद्ध की स्थिति बनी हुई है वहां लगभग डेढ़ पौने दो सौ लोग अबतक मारे जा चुके है. वहां डबल इंजन की सरकार है.
यह समझ के बाहर है कि वहां की सरकार आग लगाने में लगी है या बुझाने में. अमित शाह जी का वहां आजतक सिर्फ़ एक दौरा हुआ है. वहां उन्होंने शांति की अपील नहीं की थी बल्कि शांति स्थापित करने का आदेश दिया था. उस दौरे के बाद आज तक उनके मुंह से मणिपुर का नाम भी उच्चरित नहीं हुआ है. वह देश का सीमावर्ती इलाक़ा है. मणिपुर की आग पड़ोस के राज्यों को भी प्रभावित करने लगी है. लेकिन गृहमंत्री ने ऐसा रूख अपनाया हुआ है जैसे मणिपुर हमारे देश का अंग ही नहीं है।
यही हाल कश्मीर का है. जब संविधान की धारा 370 को समाप्त करने का प्रस्ताव गृहमंत्री जी ने संसद में पेश किया था. उस समय के उनके भाषण का स्मरण किया जाए. लग रहा था कि कश्मीर की सारी समस्याओं का समाधान धारा 370 में ही छिपा हुआ है. इसको हटाइए और कश्मीर की धरती पर स्वर्ग उतर आयेगा. आज क्या स्थिति है वहां ! कर्नल, मेजर, डीएसपी स्तर के पदाधिकारी आतंकवादियों की गोली का शिकार हो रहे हैं. लेकिन प्रधानमंत्री सहित पूरी सरकार जी 20 के सम्मेलन की सफलता का जश्न मनाने में मग्न दिखाई दे रही थी.
जैसे पूरे देश में अमन चैन क़ायम है. ऐसी असंवेदनशील सरकार आजतक देश ने नहीं देखा है. अमित शाह जी कल बिहार के सीमांचल में गरजेंगे. वह मुस्लिम बहुल इलाक़ा है. प्रदेश में सांप्रदायिक आधार पर गोल बंदी को मज़बूत करने और सांप्रदायिक मानसिकता की तुष्टिकरण के लिए अपने अंदाज़ में दहाड़ लगायेंगे. हम अमित शाह जी को 2015 का चुनाव स्मरण कराना चाहेंगे. जब लालू यादव और नीतीश कुमार एक साथ मिल कर चुनाव लड़ रहे थे. उस समय अपने प्रधानमंत्री जी के साथ अमित शाह जी ने बिहार की गलियों का धुल फांका था.
प्रधानमंत्री जी ने उस चुनाव में आरा की आम सभा में बिहार की बोली लगई थी. ‘ कितना दे दें ! सत्तर हज़ार करोड़ , एक लाख करोड़! नहीं नहीं सवा लाख करोड़ दे दिया ! उस सवा लाख करोड़ का हिसाब पूछिए तो उसका चौथाई भी अब तक नहीं मिला है. उस सबके बावजूद बिहार की जनता ने लालू-नीतीश की गोलबंदी दो तिहाई से ज़्यादा बहुमत दिया था.
इसलिए अमित शाह जी स्मरण रखें, बिहार गांधी, लोहिया और जयप्रकाश की धरती है. यहां मोदी जी और अमित शाह जी की दाल नहीं गलने वाली है.