DESK : बिहार सरकार राज्य के सबसे गरीब भूमिहीन परिवारों की पहचान के लिए इस महीने के अंत में एक सर्वेक्षण शुरू करेगी. यह सर्वेक्षण व्यापक होगा. इस दौरान विभिन्न श्रेणियों के बीच सबसे गरीब वर्गों के उन परिवारों की पहचान की जाएगी, जो अब भी भूमिहीन है. हालांकि इससे पहले एक विस्तृत अध्ययन किया जाएगा. बिहार के राजस्व और भूमि सुधार विभाग के सचिव जयसिंह के मुताबिक सर्वेक्षण एक विशेष एप्लिकेशन के जरिए से किया जाएगा, जिसे औपचारिक रूप से 25 अप्रैल को लॉन्च किया जाएगा. इसके बाद यह सर्वेक्षण 30 जून तक पूरा कर लिया जाएगा.
सिंह ने कहा कि सर्वेक्षण करने वाले राजस्व अधिकारी भूमिहीन किसानों को पहले दी गई भूमि की स्थिति के बारे में भी जानकारी मांगेंगे, क्योंकि उनमें से कुछ ने सरकार की ओर से उन्हें दी गई जमीन को निजी लोगों को बेच दिया था. सिंह ने कहा कि हम इस बार परिवारों से इस तरह का ब्योरा ले रहे हैं, ताकि सरकार से प्राप्त भूमि को अन्य व्यक्तियों को बेचने जैसी अनियमितताओं के मामलों की जांच की जा सके.
दरअसल, बिहार सरकार में राजस्व मंत्री आलोक कुमार मेहता ने सभी भूमिहीन परिवारों को भूमि प्रदान करने के लिए महागठबंधन सरकार की प्रतिबद्धता को पूरा करने की बात कही है. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक वे भूमिहीन परिवारों के सर्वेक्षण पर कई समीक्षा बैठक कर चुके हैं. गौरतलब है कि इससे पहले बिहार ने आखिरी बार 2014 में भूमिहीन परिवारों का सर्वेक्षण किया था. सरकार भूमिहीन परिवारों को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्ग सहित विभिन्न श्रेणियों में 3 से 5 डिसमिल तक जमीन देती है.
सिंह ने कहा कि 2014 के सर्वेक्षण के दौरान 24,000 परिवारों की पहचान की गई थी, जिन्हें अब तक जमीन दे दी जानी चाहिए थी. उन्होंने कहा कि इस साल दिसंबर तक उन्हें आवासीय जमीन उपलब्ध कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. उन्होंने कहा कि प्रतीक्षा सूची में शामिल भूमिहीन परिवारों को हमें प्राथमिकता के आधार पर जमीन देनी है. जमीन की उपलब्धता के आधार पर परिवारों को समूहों में या अलग-अलग क्षेत्रों में एक या दो इकाइयों में बसाने की योजना है.
इसके साथ ही राजस्व विभाग ने भूमि अभिलेखों को पुनर्गठित करने की प्रक्रिया को तेज कर दिया है. इस काम में तेजी लाने के उद्देश्य से 10,000 नए राजस्व अधिकारियों की नियुक्ति को तेजी कर दिया गया है, जिसमें अमीन या भूमि मापक शामिल हैं. इस संबंध में जानकारी दी गई कि विभिन्न भूमि अभिलेखों के 2.70 करोड़ पृष्ठों का डिजिटलीकरण किया जा चुका है. सभी जिलों में प्रमुख भूमि रिकॉर्ड से संबंधित दस्तावेजों जैसे खतियान, जमाबंदी (किरायेदारों के बही खाते में रैयतों को आवंटित संख्या) का डिजिटलीकरण करने का काम चल रहा है.
सिंह के मुताबिक प्रमुख भूमि रिकॉर्ड को प्राथमिकता के आधार पर डिजिटाइज़ किया जा रहा है, ताकि उनके साथ छेड़छाड़ न की जा सके. बाकी दस्तावेजों को भी व्यवस्थित तरीके से डिजिटाइज़ किया जा रहा है. इस बीच, अधिकारियों ने कहा कि भूमि सर्वेक्षण का काम पहले से ही 20 जिलों के 89 सर्किलों में काम तेजी से चल रहा है और अगले दो वर्षों में इसे पूरा कर लिया जाएगा. भूमि सर्वेक्षण कार्य भूमि अभिलेखों को पुनर्गठित करने वाला पहला ऐसा सर्वेक्षण है. गौरतलब है कि इससे पहले अंतिम कैडस्ट्रल सर्वेक्षण, ब्रिटिश शासन के दौरान, 1911 में मैन्युअल सर्वेक्षण के माध्यम से भूमि सीमाओं का पता लगाने के लिए किया गया था. हालांकि, पिछले 100 वर्षों में कुछ पुनरीक्षण सर्वेक्षण किए गए हैं.