*देश की समृद्धि के लिए पूर्वी क्षेत्र का विकास एक जरूरी शर्त….
*पूर्वी क्षेत्र में है सर्वाधिक गरीबी, आवासहीनता, पलायन और शिक्षा का निम्न स्तर….
*पूर्वी क्षेत्र के साथ विश्वासघात वाली राजनीति से भाजपा बाज आए….
स्टेट डेस्क/पटना: भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि 2015 के बाद पटना में पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की हो रही बैठक में बिहार सरकार द्वारा उठाई जा रही मांगों का हमारा पूरा समर्थन है. बैठक में बिहार सहित झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्रियों अथवा उनके प्रतिनिधियों और अधिकारीगण भाग ले रहे हैं.
इस महत्वपूर्ण बैठक में बिहार के सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण के आलोक में यहां की भयावह गरीबी, आवासहीनता, पलायन और शिक्षा के निम्न स्तर सरीखे मुद्दों पर गंभीरतापूर्वक बात होनी चाहिए. बिहार को विशेष राज्य की मांग अब एक फौरी मांग बन गई है. इस पर केंद्र सरकार गंभीर रूख दिखलाए.
बिहार सरकार ने विशेष राज्य के दर्जे की मांग के साथ-साथ केंद्रीय योजनाओं में राज्य की हिस्सेदारी 90 फीसदी करने सहित कई मुद्दों पर चर्चा का प्रस्ताव रखा है. ये मांगें तार्किक और प्रासंगिक हैं. करीब-करीब सारा टैक्स केंद्र सरकार के खाते में चला जाता है, जिससे संसाधनों की भारी कमी झेलते बिहार को काफी नुकसान हो रहा है.
आगे कहा कि पूर्वी क्षेत्र सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व वाला लेकिन ऐतिहासिक तौर पर गरीब राज्यों का इलाका है. पूरे जोन को लंबे समय से कॉर्पोरेटों के लिए सस्ता श्रम उपलब्ध कराने वाला लेबर सप्लाई जोन बनाकर रखा गया है. यदि भारत को समृद्ध बनाना है तो पूर्वी क्षेत्र के राज्यों का विकसित होना एक जरूरी शर्त है.
आज हम देख रहे हैं कि हंगर इंडेक्स में भारत की स्थिति लगातार गिरती जा रही है. इसे सुधारने के लिए जरूरी है कि पूर्वी क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिया जाए. पूरे देश में सबसे ज्यादा आवासीय भूमिहीनता और निम्न शिक्षा स्तर इन्हीं इलाकों का है. उम्मीद है कि ये मुद्दे बैठक में जोर-शोर से उठाए जाएंगे और मोदी सरकार इस पिछड़े क्षेत्र के साथ विश्वासघात वाली अपनी राजनीति से बाज आएगी.