स्टेट डेस्क/पटना: साहित्यिक संस्था आयाम की ओर से सोमवार को कविता, कहानी, संस्मरण और उपन्यास का पाठ किया गया। कहानी, कविताओं और संस्मरण के पाठ के इस आयोजन को उषाकिरण खान ने नया नाम दिया है। कभी बाबा नागार्जुन से बात करते हुए यह नाम सोचा गया था। इसके लिए “कुचर्बोस्की” जैसे शब्द की रचना की गई थी । आज इतने सालों बाद बाबा की याद में इस शब्द के माध्यम से आयाम ने साहित्य संध्या का आयोजन किया है।
पद्मश्री उषाकिरण खान की किताब “दिनांक के बिना “का पाठ निवेदिता ने किया। ये किताब उषाकिरण खान की जीवन यात्रा है। ये एक ऐसा दस्तावेज है जो समय के पार जाते जीवन की कथा से पाठकों को रू-ब-रू कराता है। इस संस्मरण के कुछ हिस्सों का भावपूर्ण पाठ निवेदिता ने किया। शहनाज फातिमी का उपन्यास दिन जो “पखेरू होते” के अंश का पाठ उत्तरा ने किया। ये उपन्यास भी अपने समय को दर्ज करता है। इस उपन्यास में स्मृतियों की कई पेचदार गलियां हैं। आप उन गलियों से गुजरते हुए समय के भीतर जाते हैं।
निवेदिता की किताब “पटना डायरी” का पाठ सुनीता सृष्टि ने किया। पटना डायरी को पढ़ते हुए आप शहर के जीवन और उस जीवन से जुड़े लोगों को महसूस कर सकते हैं। इस अवसर पर विभा रानी की कविताओं का पाठ वीणा अमृत ने , भावना शेखर की कविताओं का पाठ उषाकिरण खान ने , वीणा अमृत की कविताओं का पाठ ज्योति स्पर्श ने और सौम्या सुमन की कविताओं का पाठ नीलिमा सिंह ने किया। आयाम द्वारा हर माह इस तरह की सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया जाएगा।