राजद का पलटवार शराब से भाजपा – जदयू का है बहुत पुराना रिश्ता

पटना

कभी शराब की दुकानें खोलकर तो कभी शराबबंदी की ओट में खूब की है कमाई

स्टेट डेस्क/पटना: शराब से भाजपा – जदयू का पुराना नाता है। यह उनकी कमाई का जरिया है। दोनों दलों ने कभी वाराब प्रोत्साहन नीति के तहत तो कभी शराबबंदी के जरिय खूब काली कमाई की है।

राजद प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर पलटवार कर रहे सत्तापक्ष के नेताओं को अपने लहजे में जवाब दिया है। तेजस्वी लगातार शराबबंदी पर सवाल उठा रहे हैं। पूछ रहे हैं कि शराबबंदी वाले बिहार में करीब चार लाख लीटर शराब जब्त की गयी है तब भी पुलिस वाले दोषी नहीं है?

राजद प्रवक्ता ने 21 सितम्बर 2012 को पटना उच्च न्यायालय की एक टिप्पणी “शराब की दुकानें खोलने में नियमों की धज्जियां उड़ाई गई है” को याद दिलाते हुए कहा है कि 2010 में एनडीए की सरकार दोबारा बनने पर राज्य में धड़ल्ले से शराब की दुकानें खोली गईं थीं।

बिहार देश का एकमात्र राज्य था जहां हाईवे एवं एन एच पर मदिरालय (बार) खोलने पर सरकार द्वारा 40 प्रतिशत अनुदान देने की व्यवस्था की गई थी। 2005 के पहले जब बिहार में राजद की सरकार थी तो सम्पूर्ण बिहार में जहां मात्र 900 शराब की दुकानें थीं , वहीं 2012 में एनडीए सरकार के समय बिहार में शराब की दुकानों की संख्या बढ़कर 14000 हो गई थी। शराब की दुकानें खोलना और खुलवाना भाजपा-जदयू नेताओं की कमाई का जरिया बन गया था।

राजद प्रवक्ता ने भाजपा-जदयू नेताओं को याद दिलाया कि सरकार द्वारा पूरे बिहार को शराबी बनाने वाली नीति के विरोध में तेजस्वी यादव के नेतृत्व में युवा राजद ने ‘मदिरालय नहीं पुस्तकालय चाहिए’, ‘शराब नहीं किताब चाहिए’ अभियान चलाया था।

और जब जदयू एनडीए से बाहर आ गयी और राजद के साथ गठबंधन की सरकार बनी तो राज्य में शराबबंदी लागू की गयी थी। जिससे भाजपा जदयू नेताओं की शराब से आमदनी बंद हो गयी। जदयू का महागठबंधन से बाहर आने का एक महत्वपूर्ण कारण यह भी था।

राजद प्रवक्ता ने कहा कि जब फिर से एनडीए की सरकार बन गयी तो भाजपा-जदयू नेताओं ने शराबबंदी की ओट में शराब का काला कारोबार शुरू कर दिया है। जिस पर न्यायालय की तल्ख टिप्पणी भी आ जा चुकी है कि “पुलिस के संरक्षण में शराब का अवैध कारोबार हो रहा है।