Patna,Ajit: रविवार विश्व खाद दिवस के अवसर पर बिहार राज्य उत्पादकता परिषद द्वारा बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के सभागार पटना मैनेजमेंट एसोसिएशन एवं बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के तत्वाधान में “किसी को पीछे मत छोड़ो “विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार का उप विषय “बेहतर उत्पादन, बेहतर वातावरण और बेहतर जीवन में सहभागी बनो” क्योंकि आपके कर्म ही आपका भविष्य होंगे. सेमिनार में मुख्य अतिथि के रुप में उद्योग मंत्री बिहार सरकार समीर कुमार महासेठ थे और सम्मानीय अतिथि के रूप में नालंदा विश्वविद्यालय, राजगीर के प्रबंधन संकाय की डीन प्रोफेसर सपना नरूला उपस्थित थी. विशेष अतिथि के रुप में राजीव रंजन वर्मा, आईपीएस, भूतपूर्व पुलिस महानिदेशक मौजूद थे।
आरंभ में परिषद के महासचिव एडवोकेट बीके सिन्हा ने विषय के ऊपर संक्षिप्त जानकारी दी तथा डीके श्रीवास्तव , परिषद के प्रेसिडेंट ने आगंतुकों का स्वागत किया । अभिभाषण भारतीय कृषि विज्ञान परिषद के अनुसंधान परिसर के प्रभारी निदेशक आशुतोष उपाध्याय ने दिया. वेबीनार के माध्यम से चांसलर डॉ त्रिवेदी, चांसलर मार्कंडेय डीके प्रोफ़ेसर सी के झा, झारखंड मिल्क फेडरेशन के प्रबंध निदेशक सुधीर कुमार सिंह ने अपना वक्तव्य दिया । सेमिनार का संचालन जनरल सेक्रेटरी बसंत कुमार सिन्हा ने किया और धन्यवाद ज्ञापन परिषद के निदेशक कार्यक्रम मणि किशोर दास ने किया।
आज विश्व में आंतरिक कलह, महामारी, जलवायु में ताप वृद्धि, बढ़ती महंगाई आदि कई समस्याओं की वजह से वैश्विक खाद संकट की समस्या खड़ी हो गई है। उद्योग मंत्री बिहार सरकार समीर कुमार महासेठ ने कहा सरकार ऐसी व्यवस्था मैं कई योजनाएं का संचालन कर रही है जिसमें हर किसी को हर जगह पोषक भोजन की उपलब्धता रहे और कोई भी ऐसे समाधान के दायरे से छूट न जाए। सरकार उद्योग एवं अन्य क्षेत्रों में जन कल्याणकारी योजनाएं चला रही है उसका लाभ निचले तबके से लेकर दूरदराज के वंचित तबकों तक उपलब्ध कराना हमारी जिम्मेदारी है इसमें सभी वर्ग के लोगों की सहभागिता जरूरी है।
सेमिनार को संबोधित करते हुए अन्य वक्ताओं ने बताया कि आज विश्व के 3 अरब लोगों में से 40% लोगों को पोषक भोजन उपलब्ध नहीं है जहां दुनिया में करीब 83 करोड़ लोगों के पास भूख की समस्या है वहीं करीब 8 में से एक व्यक्ति के पास मोटापे की भी समस्या है. विश्व के करीब 80 पर्सेंट सबसे गरीब लोग ग्रामीण इलाकों में रहते हैं। तथा अत्यधिक भूख की सुरक्षा वाले लोगों में दो तिहाई गांव के अन् उत्पादक लोग हैं ।इसी तरह महिलाओं को खाद्य सुरक्षा से पीड़ित होने की संभावनाएं 15% अधिक पाई गई हैं ।दुनिया में 16 करोड़ बच्चे बाल श्रम के शिकार पाए गए हैं। खासकर कृषि के क्षेत्र में बाल श्रमिकों का लगभग 70% कार्यरत है।
मूलनिवासी दुनिया की जय विविधता वाले क्षेत्रों के 80% हिस्सों के अभिभावक की तरह है लेकिन बेभी गरीबी कुपोषण एवं विस्थापन की समस्या से जूझ रहे हैं ।सेमिनार में इन समस्याओं के निदान के लिए विचार मंथन हुआ ।हमारी कृषि खाद्य प्रणाली एग्री फूड सिस्टम में ही जरूरी भारी बदलाव लाकर इन समस्याओं का निदान किया जा सकता है क्योंकि यही हमारे कृषि प्राकृतिक संसाधन की उपलब्धता, ऊर्जा एवं स्वास्थ्य की समस्याओं के समाधान में सक्षम है। कृषि खाद प्रणाली में स्थानीय स्तर पर जरूरी परिवर्तन करके ही बेहतर उत्पादन, बेहतर पोषण, बेहतर वातावरण एवं बेहतर जीवन में सहभागिता के लक्ष्य को पा सकते हैं। और इन सभी सुविधाओं के दायरे में लाए जा सकते है. छोटे किसानों और अन्य उत्पादको का शक्ति करण करना होगा।
हमें अपने किसानों को उचित तकनीक उपलब्ध कराने होंगे तथा प्रशिक्षण प्रोत्साहन एवं नवीन पद्धतियों को अपनाने की प्रेरणा पर काम करना होगा ,जिससे हमारी कृषि खाद्य प्रणाली दक्ष ,टिकाऊ, समावेशी एवं प्रतिरोध की क्षमता से परिपूर्ण बढ़ सके। बिहार राज्य के परिपेक्ष में मखाना लीची आम अमरूद टमाटर मशरूम मक्का और अन्य फलों और सब्जियों के बेहतर उत्पादन और इनके प्रसंस्करण के लिए उद्योगों को एफपीओ कृषि उत्पादक संघ और अन्य माध्यम से प्रशासन पर विस्तृत रूप से सेमिनार में चर्चा की गई जिससे राज्य में पोषण युक्त भोजन सभी को उपलब्ध हो सके। सेमिनार के आयोजन मे बिहार के दुग्ध उत्पादक संघों की सहभागिता रही।