तेजस्वी यादव का “माई बहिन मान” योजना का ऐलान, सियासत में आया तूफान, लोगों में बहस का उफान

पटना

अशोक “अश्क” सेंट्रल डेस्क बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई है। राज्य में महागठबंधन और राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने हाल ही में एक बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि अगर बिहार में महागठबंधन की सरकार बनती है, तो उनकी सरकार माई बहन मान योजना शुरू करेगी। इस योजना के तहत राज्य की आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को हर महीने 2500 रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी, जो सीधे उनके बैंक खाते में ट्रांसफर की जाएगी।

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तेजस्वी का यह ऐलान महिलाओं के लिए एक बड़ी सौगात माना जा रहा है, लेकिन इसके बाद राज्य की सियासत में एक नई बहस छिड़ गई है। तेजस्वी यादव का यह कदम महिलाओं के कल्याण की दिशा में एक अहम पहल के रूप में देखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत बिहार की महिलाएं सशक्त होंगी और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनेंगी।

तेजस्वी यादव का कहना है कि महिलाओं के अधिकारों को सुरक्षित करना और उन्हें हर क्षेत्र में समान अवसर देना उनकी सरकार की प्राथमिकता होगी। हालांकि, इस ऐलान के बाद बिहार की सियासत में प्रतिक्रियाओं का तात्कालिक दौर शुरू हो गया है। बिहार सरकार के सत्ता पक्ष के नेताओं ने तेजस्वी यादव की योजना पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं।

उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने तेजस्वी की योजना को महज एक चुनावी हथकंडा करार दिया। उन्होंने कहा कि तेजस्वी का यह ऐलान सिर्फ चुनावी लाभ के लिए है और इस तरह के घोषणाओं से पहले उन्हें राज्य की वास्तविक स्थिति को समझने की आवश्यकता है। इसके अलावा, केंद्रीय मंत्री ललन सिंह और लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान ने भी तेजस्वी यादव पर तंज कसते हुए इस योजना को बीजेपी-एनडीए सरकार की नकल बताया।

चिराग पासवान ने कहा कि बिहार में महागठबंधन सरकार का यह फैसला कोई नई पहल नहीं है, बल्कि यह वही योजनाएं हैं जिन्हें केंद्र में बीजेपी और एनडीए सरकार ने पहले ही लागू किया है। चिराग ने यह भी आरोप लगाया कि सत्ता में रहते हुए तेजस्वी यादव और उनके परिवार ने कभी महिलाओं के मुद्दों को गंभीरता से नहीं लिया।

उन्होंने नब्बे के दशक का हवाला देते हुए कहा कि उस समय जब तेजस्वी के परिवार के सदस्य मुख्यमंत्री थे, तब उन्हें न तो महिलाएं याद आईं, न ही उनके अधिकारों की बात की गई। चिराग पासवान ने तेजस्वी यादव के इस बयान पर भी प्रतिक्रिया दी कि अब उन्हें विशेष राज्य का दर्जा याद आ रहा है। चिराग ने कहा कि जब केंद्र में महागठबंधन और उनके मंत्री थे, तो उन्होंने कभी विशेष राज्य का दर्जा मांगने की बात नहीं की।

अब चुनावी माहौल में अचानक यह मुद्दा उठाना समझ से परे है। तेजस्वी यादव की माई बहन मान योजना के समर्थन में उनके समर्थक और पार्टी कार्यकर्ता इसे एक क्रांतिकारी कदम मान रहे हैं, जिससे बिहार की महिलाओं को सशक्त किया जाएगा। लेकिन विपक्ष इसे सिर्फ एक चुनावी पैंतरा मान रहा है, जिसका उद्देश्य आगामी विधानसभा चुनाव में महिलाओं के वोटों को अपने पक्ष में करना है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तेजस्वी यादव का यह कदम राज्य में महिलाओं के बीच उनकी पार्टी का आधार बढ़ाने के लिए किया गया है, लेकिन यह योजना किस हद तक लागू हो पाएगी, यह भविष्य में देखा जाएगा।

चुनावी माहौल में यह मुद्दा आगे और गर्मा सकता है, क्योंकि राज्य की महिलाओं के लिए कई योजनाएं पहले भी विभिन्न सरकारों द्वारा शुरू की गई हैं, लेकिन उन योजनाओं का प्रभाव कितना गहरा रहा है, यह सवाल भी खुला है। अब देखना यह होगा कि बिहार की जनता इस योजना को किस रूप में लेती है।